आज समाचार प्लस की सीईओ उमेश कुमार ने सोशल मीडिया पर स्टिंग प्रकरण के बाद खुलकर अपना दर्द बयां किया।
समाचार प्लस के मुखिया उमेश कुमार की इस भावुक पोस्ट से यह निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि उमेश कुमार खामोश बैठने के मूड में नही है।
जिस तरह से बीते दिनों प्रशासन को पत्र लिखकर स्टिंग को चलाने की इजाजत मांगी है और प्रशासन ने इस बात से इंकार किया है कि उन्हें ऐसा कोई पत्र नहीं मिला, जबकि उमेश कुमार द्वारा जारी जिलाधिकारी तथा एसएसपी को भेजे गए ईमेल के स्क्रीनशॉट बताते हैं कि उन्हें वह पत्र दोपहर 12:52 बजे मेल कर दिया गया था।
यह रहा स्क्रीन शाॅट
फिर आखिर प्रशासन ने ऐसा कोई ईमेल मिलने से इंकार क्यों किया ! संभव है कि या तो उन्हें उनके अधीनस्थ कर्मचारियों के द्वारा मेल आने की आधिकारिक सूचना नहीं दी गई होगी अथवा यह भी हो सकता है कि प्रशासन उमेश कुमार की इस बैटिंग के बाद बैकफुट पर है।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी जिस तरह से एक बार फिर से स्टिंग को सार्वजनिक करने की नसीहत देने वाला बयान दोहराया है, उससे यह भी लगता है कि प्रशासन और भाजपा संगठन की स्टिंग के मामले में एक राय अभी नहीं बन पाई है।
आखिर क्या कारण है कि जहां उमेश कुमार की चुनौती के बाद प्रशासन बैकफुट पर दिख रहा है, वहीं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने स्टिंग को सार्वजनिक किए जाने की चुनौती दुबारा स्वीकार की है।
कुछ दिन पहले गैरसैंण में सत्र कराने अथवा न कराने को लेकर प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के मतभेद मीडिया के द्वारा सार्वजनिक प्लेटफार्म पर आ चुके हैं।आने वाले समय में सरकार और संगठन के रिश्तों पर कोई नया खुलासा सामने आ सकता है।
देखिए उमेश कुमार की पोस्ट
उमेश कुमार ने खुद पर लगे आरोपों को लेकर अपनी बात कही, तो साथ ही यह भी कहा कि यह उनके सम्मान की लड़ाई है और सवाल किया कि यदि किसी के 12 साल के बेटे से उसके दोस्त पूछे कि “क्या आप के पिता ब्लैक मेलिंग के आरोप में जेल में हैं तो फिर आप क्या करेंगे या तो आत्महत्या कर लेंगे या फिर खुद के आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ेंगे ताकि आपके बच्चे सर उठाकर जी सकें।”
उमेश कुमार ने स्टिंग प्रकरण को सवाल उठाने पर अपनी ही पत्रकार बिरादरी को भी खूब आड़े हाथों लिया। देखिए उमेश कुमार ने क्या लिखा !
“कई लोगों के पेट में दर्द हो रहा है कि मैं स्टिंग अपने चैनल पर नहीं दिखा रहा …. एक सवाल सब भूल गए की सरकार ने तो कहा था कि स्टिंग की साज़िश थी …. स्टिंग तो हुआ ही नहीं ….. फिर किस बात के लिए पुलिस ने मुझे गिरफ़्तार किया था ? किस बात के लिए रेड की थी मेरे घर पर ? किस बात का डर था सीएम को ? आज दलाल पत्रकार मुझसे सवाल करते है… जो रोज़ एसएसपी डीएम और तमाम अधिकारियों के सामने अपना ज़मीर चाय नाश्ते और सिम रीचार्ज के लिए ? कभी सपने में किसी डीएम एसएसपी को चुनौती देने की सोची है ? एक एफ़आईआर का सुनकर पैंट में पेशाब करने वाले मुझ पर ऊँगली उठाते है ? ये पहली सरकार नहीं है तीसरी सरकार से लड़ रहा हूँ …. सफ़र करने के लिये सूचना विभाग की कारो का इस्तेमाल करने वाले मुझे ज्ञान ना दे …. रीढ़ की हड्डी में चोट होने और ख़ून की उल्टियाँ होने के बावजूद दो दिन और तीन रात का सफ़र लोकल ट्रेनों में बिना रिज़र्वेशन के करके के झारखंड जाकर दिखाए….. जेल में ज़मीन पर दो रात बिना कम्बल ठंड में किसी के आगे हाथ फैलाए सोकर दिखाए….. जेल की 60×25 की बैरक में साठ लोगों के हाल में रात बिताकर दिखाए…. पेशी पर 10×20 की हवालात में 70 लोगों के साथ पूरा दिन अपना नम्बर आने का इंतज़ार करके दिखाए….. ये सब जब करे आपको ज़हर देकर मारने का प्रयास भी चल रहा हो तब जानूँगा कि कितना संघर्ष करने की हिम्मत है। एक FIR दर्ज होत्ते ही दरोग़ा के चरणों में पड़ने वाले ज्ञान ना बाँचे….”
इसके अलावा उमेश कुमार दी कुछ शेरो शायरी के जरिए पुलिस तथा अन्य सिस्टम की चाटुकारिता करने वालों को भी कुछ शेर पेश किया। देखिए क्या कहती है यह शेरो शायरी-
‘मज़ार-ज़ार रोई आँखें ठहर गई दिल की धड़कन,
मेरे अपनी आँखो ने तबाही का मंज़र देखा है “
कुछ पुलिस वाले मित्रों के लिए
“दुनिया खरीद लेगी हर मोड़ पर तुझे
तूने जमीर बेचकर अच्छा नहीं किया”
कुछ चाटुकारों के लिए
“तुम्हें मालूम हो जायेगा कि कैसे रंज सहते हैं,
मेरी इतनी दुआ है कि तुम फनकार हो जाओ”
भूल शायद बहुत बड़ी कर ली,
तुम शतरंज का खेल कहते हो,
हम ने बर्बाद ज़िन्दगी कर ली।
सबक़ तो वक़्त देगा
हमने ये राय क़ायम कर ली
उमेश कुमार ने खुद को दलाल और ब्लैकमेलर की संज्ञा देने वालों से भी कुछ सवाल पूछे हैं तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को तथा सरकार को भी कुछ चुनौतियां दी हैं। देखिए क्या लिखते हैं उमेश कुमार-
….कोर्ट, हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक अपने सम्मान और हक़ की लड़ाई लड़ने का दम हो तब सलाह देना मुझे …. दलाल ब्लैकमेलर का संज्ञा देने वाले बताए की किसको ब्लैक्मेल किया ? क्या श्री हरीश रावत को नहीं कर सकता था ? क्या अन्य मुख्यमंत्रियों से समझोता नहीं कर सकता था ? मुझे इतिहास में दर्ज होने का शौक नहीं है लेकिन ये लड़ाई मेरे और मेरे परिवार के सम्मान की है और इसका फ़ैसला तो होकर रहेगा….और इस ज़ीरो tolerance के जुमले वाले प्रदेश सरकार को बताना पड़ेगा कि वो ख़ुद और उनके क़रीबी निजी अधिकारी, पार्ट्नर और रिश्तेदार किस क़दर खनन, ट्रान्स्फ़र पोस्टिंग अन्य धंधों में उलझे थे …. स्टिंग चैनल पर चलना दो मिनट का काम है लेकिन मैं चाहता हूँ कि पहले ये अपने जितने षड्यंत्र कर सकते है कर लें …. जितने मुक़दमे करना चाहते हैं कर ले ….। जितने आरोप लगाना चाहते है लगा ले ताकि सुनके मन में मलाल मलाल ना रहे कि ये नहीं किया वो नहीं किया…. त्रिवेंद्र जी आपके पास सरकार है ताक़त है पैसा है आईएएस आइपीएस पुलिस है ….मैं तो साधारण सा इंसान हूँ… मेरे पास ये सब तो नहीं है …मेरे पास सिर्फ़ मेरा भगवान, मेरे दोस्त और मेरा साहस है… मुझे किसी पब्लिसिटी की ज़रूरत नहीं है और ना स्टंट की ….. मेरी लड़ाई सम्मान की है …. मुझसे पैसा छीन लोगे , काम छीन लोगे घर छीन लोगे लेकिन मेरा साहस और मेरा नाम यानी उमेश कुमार नहीं छीन पाओगे…..
बहरहाल उमेश कुमार के इस पलटवार के बाद स्टिंग में लोगों की उत्सुकता फिर से बढ़ गई है और लोग स्टिंग के सार्वजनिक होने का इंतजार कर रहे हैं। देखना है यह है कि आखिर उन तमाम स्टिंग में ऐसा है क्या जिसको लेकर पूरे डेढ़ माह से यह मुद्दा मीडिया की सुर्खियां बटोर रहा है और इस पर सरकार और विपक्ष तक आमने सामने आ गए हैं।