गिरीश गैरोला
गंगा का मायका कहा जाने वाला मुखवा गांव विगत एक सप्ताह से अंधेरे में है। गौरतलब है कि गंगोत्री में कपाट बंद होने के बाद शीतकाल के 6 महीने के लिए गंगा मां की उत्सव डोली अपने तीर्थ पुरोहितो के गांव मुखवा में 6 महीने तक वास करती है । इस दौरान गंगा मां की पूजा अर्चना मुखवा गांव में ही सम्पन्न की जाती है। इस गांव में भी ठीक गंगोत्री जैसा ही मंदिर बनाया गया है।
हालांकि वर्तमान और पूर्ववर्ती सरकार शीतकाल में भी चार धाम यात्रा समेत पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 12 महीने यात्रा चलाने के दावे कई बार कर चुकी है, किंतु हालात धरातल पर ऐसे हैं कि यहां पर स्थानीय लोग भी आधारभूत सुविधाओं की कमी के चलते यहां से पलायन को मजबूर हैं तो पर्यटकों का क्या कहना !
मंदिर समिति गंगोत्री के तीर्थ पुरोहित सुधांशु सेमवाल ने बताया कि मुखवा गांव में 18 फरवरी से बत्ती गुल है। रात के अंधेरे में पूजा-अर्चना और मंदिर की सुरक्षा को लेकर दिक्कतें पेश आ रही हैं।
विद्युत विभाग के अधिशासी अभियंता गौरव सकलानी ने बताया कि उनकी जानकारी में यह मामला एक दिन पहले ही आया है और उनके स्तर से संबंधित अभियंता को ट्रांसफार्मर चेक कर विद्युत बहाली के निर्देश दिए जा चुके हैं। संभवतः अगले एक दिन तक विद्युत व्यवस्था बहाल हो जाएगी ।गौरतलब है कि गंगा ग्राम योजना के तहत मुखवा से लगे बागोरी गांव में कई विकास कार्य होने हैं। इसके अलावा गंगोत्री क्षेत्र को केंद्र सरकार द्वारा “स्पेशल आइकोनिक प्लेसिस” में शामिल किया गया है । ताकि यहां का सौंदर्यीकरण कर पर्यटकों को यहां आकर्षित किया जा सके। किंतु हालात यह हैं कि शीतकाल में विपरीत परिस्थितियों के चलते सड़क, बिजली, पानी आदि की दिक्कत से स्थानीय लोग को भी दो-चार होना पड़ता है
ऐसे में 12 महीने चार धाम यात्रा की कल्पना करना किसी सपने से कम नहीं है।