पशुपालन, डेयरी व मत्स्य विभाग भारत सरकार के निर्देशानुसार उत्तराखंड में कृत्रिम गर्भाधान से आच्छादित पशुओं का प्रतिशत मात्र 38′ है, जिसे 80′ तक आच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह तभी संभव होगा, जब पर्याप्त मात्रा में कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं द्वारा यह कार्य किया जाए। मैदानी जनपदों में पर्याप्त मात्रा में ये कार्यकर्ता कार्य कर रहे हैं, लेकिन पर्वतीय जनपदों में यह संख्या बहुत कम है। सचिव पशुपालन उत्तराखंड शासन मीनाक्षी सुंदरम ने कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ताओं को अभियान के रूप में प्रशिक्षित कर स्थापित करने के निर्देश दिए हैं।
उत्तराखंड लाइवस्टोक डेवलपमेंट बोर्ड (यूएलडीबी) के मुख्य अधिशासी अधिकारी एमएस नयाल ने बताया कि यूएलडीबी द्वारा समय-समय पर पशुलोक ऋषिकेश में भारत सरकार से मान्यता प्राप्त संस्थान में यह प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। 12 फरवरी 2019 से यह प्रशिक्षण प्रारंभ किया जा रहा है, जिसकी सूचना पूर्व में समस्त मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों को दी जा चुकी है, लेकिन पर्याप्त मात्रा में आवेदन प्राप्त नहीं हुए हैं। ऐसे पर्वतीय क्षेत्र के बेरोजगार ग्रामीण युवक जिनकी उम्र 18 वर्ष से ऊपर हो, व हाईस्कूल पास हो व इस क्षेत्र में स्वरोजगारी के रूप में कार्य करने के इच्छुक हों, आवेदन स्थानीय पशु चिकित्साधिकारी, ग्राम प्रधान व मुख्य पशु चिकत्साधिकारी के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। उन्हें राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजनान्तर्गत निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाएगा।
नयाल ने यह भी बताया कि ऐसे क्षेत्र जहां मैदानी क्षेत्र में प्रजनन योग्य पशु संख्या 1000 व पर्वतीय क्षेत्र में 750 हो व पूर्व से स्थापित पशु चिकित्सालय/पशु सेवा केंद्र/उपसा/मैत्री केंद्र से पर्वतीय क्षेत्र में 3 किमी. व मैदानी क्षेत्रों में 5 किमी. दूरी पर हो स्थानीय बेरोजगार युवक आवेदन कर सकता है।
यदि मुख्य पशु चिकत्सा अधिकारियों के कार्यालय में ऐसे आवेदन लंबित हों तो 11 फरवरी तक मेल के माध्यम से जानकारी उपलब्ध करा सकते हैं। इसके लिए विस्तृत सूचना व आवेदन पत्र यूएलडीबी की वेबसाइट www.uldb.org से भी डाउनलोड की जा सकती है।