नाकारा सिस्टम की लापरवाही और मानवता फिर हुई शर्मसार
गर्भवती ने दिया सड़क पर नवजात को जन्म, बच्चे की मौत
कुलदीप राणा ‘आजाद’ चमोली /रूद्रप्रयाग
रूद्रप्रयाग बदरीनाथ हाइवे पर रूद्रप्रयाग से दो किमी आगे तिलणी के पास एम्बुलेंस न मिलने के कारण चमोली के घाट विकासखणड की धुनी गाँव की नंदी देवी ने सड़क पर नवजात को जन्म दिया लेकिन त्वरित उपचार न मिलने के कारण नवजात ने मौके पर ही दम तोड़ दिया!
उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में लचर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं ने न जाने कितने ही लोगों को असमय मौत के घाट उतार दिया है! लेकिन सरकारें और उनका तंत्र सबक लेने को तैयार नहीं है अलबत्ता राज्य गठन के 18 वर्ष बाद भी पहाड़ में गर्भवती महिलाओं को सडकों पर नवजातों को जन्म देने और फिर त्वरित उपचार के अभाव में जान गंवाने जैसी तस्वीरें सामने आ रही हैं तो यह कितनी लज्जाजनक और शर्मनाक स्थिति को बयां कर रहा हैं!
दरअसल चमोली जनपद के घाट विकासखण्ड के धुनी गाँव निवासी मोहन सिंह अपनी आठ माह से गर्भवती पत्नी नंदी देवी (32) को प्रसव के लिए 4 दिसम्बर को गोपेश्वर जिला अस्पताल में ले गए तो यहाँ डाक्टरों द्वारा जांच की गई लेकिन देर सांय चार बजे डॉक्टरों द्वारा मोहन सिंह को बताया गया कि महिला के गर्भ में नवजात की हृदय गति बहुत कम चल रही है और उन्हें सीधे
श्रीनगर रेफर कर दिया! हैरान करने वाली बात तो यह है कि प्रसव वेदना से पीडित महिला को 107 किमी दूर रेफर करने पर उन्हें एम्बुलेंस तक की व्यवस्था नहीं की गई! शाम की चार बज चुकी थी और उन्हें आगे के लिए कोई गाडी भी नहीं मिल पाई!
बुधवार को सुबह 6 बजे मोहन सिंह अपनी पत्नी को लेकर गोपेश्वर से जीएमओयू की बस से श्रीनगर के लिए रवाना हुआ!
नगरासू से महिला को तेज प्रसव पीडा होने लगी महिला दर्द से कराहने लगी लेकिन बस में बैठे किसी भी व्यक्ति द्वारा मानवता नहीं दिखाई गई और बस चालक द्वारा भी महिला को अस्पताल छोडने की बजाय करीब नौ बजे तिलणी के पास उतार दिया! सडक किनारे जैसे ही महिला बैठने लगी तो नवजात का आधा सिर बाहर आ गया और तेज रक्तस्राव होने लगा, अकेले बेबस पति मोहन सिंह ने 108 सेवा कोे फोन किया लेकिन जब तक एम्बुलेंस पहुँचती तब तक बहुत देर हो चुकी थी! सड़क किनारे प्रसव वेदना से कराहती महिला ने नवजात शिशु जन्म दिया लेकिन ठंड और त्वरित इलाज न मिलने के कारण बच्चे ने मौके पर ही दम तोड दिया!! स्वास्थ महकमें के नाकारेपन ने इस दम्पति को सड़क पर इस हाल में लाकर जरूर छोड़ दिया था लेकिन हमारे समाज और मानवता भी यहा इस कदर संवेदनहीन दिखी कि सड़क पर गुजरते वाहनों और पैदल चल रहे लोगों ने इनकी मदद तक नहीं की! अपने बच्चें को खो चुके मोहन को पत्नी की चिंता के कारण उसने आनन फानन में बच्चे को दफना दिया! करीब 11 बजे पहुँची 108 द्वारा महिला को रूद्रप्रयाग जिला अस्पताल ले जाया गया जहाँ स्री रोग विशेषज्ञ डॉ दिग्विजय सिंह रावत ने महिला का इलाज शुरू किया! अब महिला की स्थिति सामान्य है!
राज और समाज की इस शर्मनाक विभीषिका ने ऐसे ही न जाने कितने ही दम्पतियों को खून के आंसू रूला दिया है !