कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को झटका देते हुए नियमित कर्मचारियों के पदों को रिक्त मानकर सीधी भर्ती से भरे जाने के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है।
सन 2016 की विनियमितीकरण नियमावली निरस्त होने के बाद कैबिनेट के इन नियमावली के तहत नियमित कर्मचारियों के पदों को रिक्त मानकर सीधी भर्ती से भरे जाने के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। न्यायालय ने साथ ही राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश भी दिए हैं।
न्यायालय के इस के आदेश के बाद राज्य के लगभग बारह सौ(1200) कर्मियों पर लटकी तलवार फिलहाल हट गई है।
अधिवक्ता राकेश थपलियाल ने बताया कि सुशीला तिवारी अस्पताल की ममता डंगवाल व 27 अन्य ने याचिका दाखिल कर सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। याचिका में कहा गया था कि पूर्व में उच्च न्यायालय ने नियमावली को रद कर दिया था । राज्य सरकार ने सात जनवरी को कैबिनेट में इस नियमावली के तहत नियमित कर्मचारियों के पद रिक्त मानते हुए सीधी भर्ती से भरने का निर्णय लिया था। इसके बाद सरकार ने विज्ञापन जारी करने का निर्णय ले लिया। न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद इन पदों को विज्ञापित करने के आदेश पर रोक लगा दी है।