राजीव थपलियाल
इसे पढ़िए, उत्तराखंड की बेटियों की मंडी लगाना चाहता है यह मीडिया हाउस। राज्य के एक नामी अखबार के पोर्टल पर इस स्टोरी के हैडिंग ने ही मुझे पहला झटका लगाया। अंदर इस गांव तक पहुंचने का भी रास्ता बताया गया है। लिखा गया है कि यहां की लड़कियां लोकल बोली के अलावा अन्य बोलियां भी जानती हैं। स्टोरी इस तरह से लिखी गई है कि जैसे इस गांव की बेटियां बाहर के लोगों के लिये कोई पर्यटन का सामान हों।
मीडिया में अपनी स्टोरी को सुर्खी बनाने के लिए कभी जौनसार की संस्कृति के लिए भी अनर्गल बातें लिखी जाती रही थी। अफसोस यह कि इसे लिखा भी लड़की ने ही है।
हमारे गांव को अपमानजनक तरीके से प्रस्तुत करने वालो पर धिक्कार है।
जब तक अतुल माहेश्वरी जी रहे, कभी भी इस मीडिया हाउस में ऐसे अपमानजक रिपोर्ट पढ़ने को नही मिली। राजुल माहेश्वरी जी आप क्यों ऐसा कर रहे हैं।(courtesy facebook wall)