अधिकारियों को निशाने पर लेने के बाद अब बहुचर्चित शिक्षिका उत्तरा बहुगुणा ने उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय को चुनौती दी है। इसके लिए उन्होंने सोशल साइट का सहारा लिया। जिसमें उन्होंने महिला शिक्षका की अनदेखी करने की बात कही है।
उन्होंने कहा है कि व्यक्ति रूप से मिलकर लिखित और मौखिक रूप से शिकायत करने के बावजूद भी मामले में आपके द्वारा कोई कार्यवाही नहीं किया जाना अत्यंत खेदजनक है। आइए उनका पत्र आपके समक्ष रखते हैं।
मुख्य मंत्री जी /शिक्षा मंत्री जी
उत्तराखंड सरकार, देहरादून !
विषय: महिला शिक्षिका की अनदेखी करना !
मेरे द्वारा आप दोनों को व्यक्तिगत रूप से मिलकर लिखित और मौखिक शिकायत की गई ! लेकिन खेद है कि आप दोनों ने ही इस संबंध में कोई कार्यवाही नहीं की! आप उत्तराखंड के विकास के लिए केन्द्र सरकार से धन की माँग करते हैं ! जो की पूरी की जाती है! मैंने आपसे ना ही आपके निजी धन की माँग की है! और ना ही सरकारी खजाने से कुछ माँगा है! मैंने योग्यता के आधार पर जीवन यापन हेतु जो पद हासिल किया था! उसके लिए न्याय की गुहार लगाई थी! जिस पर मेरे बच्चों का भविष्य निर्भर है!
उत्तराखंड राज्य में उत्तराखंड की बेटी के साथ ये अन्याय किस आधार पर किया जा रहा है! जबकि मेरे द्वारा कोई भी गलती नहीं की गई है! यदि सबको ये लगता है तो मैं बार बार जाँच करने के लिए खुद लिखित रूप में कह रही हूँ ! फिर जाँच करने में परेशानी किस बात की! यदि किसी की ईमानदारी और नियत को परखना है तो सबके निजी खातों की और चल अचल सम्पति की जाँच करवाई जाए! दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा! कुछ नहीं हो सकता है! तो उत्तराखंड के विकास के लिए देवी देवताओं की डोली नचाना और बात बात पर उनकी कसमें खाना भी छोड़ दीजिए! क्योंकि वो भी इतने अपवित्र हो गए हैं कि किसी असहाय की मदद करने में असहाय हो गए हैं!
सरकार को देख कर एक कहावत याद आ रही है-
नौ मण छांछ जो नंदु खुद पी जाता है! उस नंदु के पास क्या जाना छांछ मांगने!
मुझे परेशान करने का कारण ये है कि मेरी अनुपस्थिति में विद्यालय के ताले तोड़ कर मध्याहन भोजन के कुछ माह के बाउचर चोरी हुए हैं! उसका सबूत मुझ से माँगा जा रहा है ! जबकि मैं शासन के गलत आदेश का पालन करते हुए दूसरे विद्यालय में तैनात थी! ताले टूटने की मुझे कोई सूचना नहीं दी गई थी! परिस्थितियों को देखकर साफ जाहिर है कि ये मेरे साथ मेरे पति का देहान्त होते ही सोची समझी चाल है! चालें तो पति के रहते भी बहुत चली गई ! मगर इतना बुरा नहीं कर पाए!