विनोद कोठियाल
घपले और घोटालों के लिए प्रदेश में प्रसिद्ध हो चुके वन विभाग में एक और घोटाले का खुलासा हुआ है। आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार जैन द्वारा आरटीआई में खुलासा किया गया कि वन विभाग के रसियाबड रेंज के अंतर्गत बाघ संरक्षण कार्यक्रम के लिए कैंपा से अवमुक्त धनराशि को विभिन्न मदों में गलत तरीके से और फर्जी व्यक्तियों के नाम पर भुगतान किया गया।
आलम यह है कि एक करोड़ से ऊपर की धनराशि का नगद भुगतान किया गया, जोकि नियम विरुद्ध है। घोटाले को अंजाम देने के लिए एक मजदूर के एक दिन का भोजन का बिल ₹1000 तक दर्शाया गया है, जिसका भुगतान भी नगद किया गया है। इस विषय पर तत्कालीन विवादास्पद डीएफओ एचके सिंह, रसियाडा रेंज के रेंज अधिकारी प्रदीप कुमार उनियाल के अलावा भी अन्य कई लोग संलिप्त हैं।
घोटाले को अंजाम देने के लिए फर्जी व्यक्तियों के नाम पर धन का भुगतान किया गया। जब आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा आरटीआई में भुगतान लेने वाली फॉर्म और व्यक्तियों का नाम मांगा गया तो विभाग कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया।
इस विषय पर आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा स्टांप पेपर पर लिखित में शपथ पत्र के साथ वन विभाग के प्रमुख जयराज सिंह से शिकायत भी की गई है और उम्मीद की गई है कि एक माह के अंतर्गत जांच पूरी कर दोषियों को सजा दी जाए, परंतु इससे पूर्व भी विवादास्पद तत्कालीन डीएफओ एचके सिंह के संबंध में भी आरटीआई कार्यकर्ता विनोद कुमार जैन द्वारा विभाग प्रमुख से विभिन्न घोटालों के संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत कार जांच का आग्रह किया गया था, जिस संबंध में डीएम से लेकर विभागीय मन्त्री और मुख्यमंत्री ने भी 28 जनवरी 2018 यह आदेश जारी किया कि यह जांच किसी बाहरी एजेंसी से करा कराई जाए। परंतु जांच को दबाने के लिए विभाग प्रमुख ने जांच विभाग के एक अधिकारी मनोज चंद्रन को सौंप दी।
इसका परिणाम यह हुआ कि जांच अभी तक यथावत बनी हुई है। सूत्रों के अनुसार यह भी पता चला है कि फर्जी भर्ती घोटाले की जांच में जांच अधिकारी द्वारा यह लिखकर इतिश्री की गई कि भर्ती घोटाले में जो भी हुआ, जानबूझकर न होकर त्रुटिवश हो गया, जिससे कि एचके सिंह बिना किसी दंडात्मक कार्रवाई के विभाग से सेवानिवृत्त हो गए।
अब उपरोक्त प्रकरण में देखना यह है कि इसी प्रकार से जांच को ठिकाने लगाया जाता है या फिर कोई कार्रवाई अमल में लाई जाती है !