गैरसैण में सत्र पर सरकार संगठन आमने सामने
उत्तराखंड में दिसंबर की सर्दियों की शुरुआत से पहले ही सत्ता के गलियारों में भाजपा सरकार और संगठन के अंदर 2 साल से जमा लावा बाहर निकलने लगा है।
ताजा उदाहरण मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और भाजपा अध्यक्ष अजय भट्ट के बीच वार पलटवार के रूप में देखने को सामने आया है।
गौरतलब है कि चंद रोज पहले अजय भट्ट ने कहा था कि गैरसैंण मे सत्र आयोजित करना अभी उचित नहीं है क्योंकि अभी गैरसैंण में मूलभूत सुविधाएं विकसित नहीं हो पाई हैं। अजय भट्ट के इस बयान से सत्ता के गलियारों में और उत्तराखंडी जनमानस में उबाल आ गया।
इससे सरकार की छवि पर आंच आई तो त्रिवेंद्र सिंह रावत उबल गए। उन्होंने अजय भट्ट को नसीहत दे डाली कि सरकार का काम सरकार बहुत अच्छे से जानती है। “गैरसैंण में सत्र आयोजित करना न करना सरकार का काम है। संगठन का नहीं।”
त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस जवाबी हमले से अजय भट्ट को तो तिलमिलाना ही था और यही तिलमिलाहट आज पलटवार के रूप में सामने आई।
अजय भट्ट भी बोल पड़े कि सरकार तो पांच साल की ही है।पांच साल बाद आना तो संगठन में ही है। और उत्तराखंड में भी सरकार पांच साल के संघर्ष के बाद बन पाई है।
अजय भट्ट ने कहा,-” सरकार संगठन एक है। जब सरकार नहीं होगी तो लोग पार्टी में ही तो आएंगे। 5 साल संघर्ष किया तब जाकर राज्य में सरकार बनी।”
अजय भट्ट के इस पलटवार की धार देखते हुए लगता नहीं कि सरकार और संगठन के ये दोनों क्षत्रप इतनी जल्दी शांत हो जाएंगे।
जिस तरह गैरसैंण में सत्र कराने पर सरकार और संगठन आमने सामने आ खड़े हुए हैं, उससे लगता नहीं कि तलवारें इतनी जल्दी म्यान में लौट जाएंगी सतह पर अंतर कलह का यह तो आगाज है। देखना यह होगा कि इस नजारे का अंजाम क्या होता है !