जगदम्बा कोठारी
सरकार चाहे पहाड़ों मे विकास के लाख दावे करे लेकिन पहाड़ों तक विकास पहुंचने मे असफल रहा है। राजाओं की रियासत रही टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक की सीमांत पट्टी गंगी के ग्रामीण आज भी विकास की राह देख रहे हैं। बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे गंगी के पांच गांवों के हजारों ग्रामीणों को मजबूरन पांच फीट बर्फ मे भी अनशन पर बैठना पड़ रहा है।
आज सुबह पांच गांवों के ग्रामीण ‘रीह’ जगह मे एकत्र हुए और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। सैकडों की संख्या मे महिलांये, पुरूष, बच्चे,बुजुर्ग सरकार को जमकर कोसते नजर आये। उन्होने मांग करी कि गंगी क्षेत्र आज भी सड़क, बिजली,पानी और स्वास्थय जैंसी बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा है। जिस कारण गंगी क्षेत्र को पिछडा क्षेत्र घोषित किया जाये।
इसी के चलते आज से स्थानीय युवा पूरब सिंह रावत के नेतृत्व मे
गंगी, गेवाली, पिन्स्वाड,मेड मरवाडी के पांच गांवो की जनता कृमिक अनशन पर बैठ गयी है।
मूलभूत सुविधांये तक नहीं हैं
पूर्व ब्लॉक प्रमुख भिलंगना धनीलाल शाह का कहना है कि गंगी गांव के लिए घुत्तू से 12 किलोमीटर सड़क स्वीकृत हुयी थी जिसमे अधिकांश की कटिंग भी हो चुकी है लेकिन सड़क की स्थिती इतनी जर्जर है कि उस पर कोई भी वाहन चालक चलने को तैयार नहीं है। मजबूर ग्रामीण 12 किलोमीटर का सफर पैदल ही नाप रहें हैं।स्थानीय युवा सोकीन सिंह भण्डारी सरकार पर गंगी क्षेत्र के प्रति सौतेले व्यवहार का आरोप लगाते हुये कहते हैं कि गांव मे जूनियर हाई स्कूल है लेकिन दुर्गम होने के चलते अध्यापक नहीं आते है, जैंसें तैंसे आठवीं तक पढाई कर भी ली तो आगे की पढ़ाई के लिए हाई स्कूल भी 18 किलोमीटर दूर बूढ़ा केदार है जिस कारण वहां कोई जाने को तैयार नहीं है, प्राथमिक चिकित्सालय भी 12 किलोमीटर दूर घुत्तू मे है। गांवों मे आज भी बिजली नहीं है। मोबाइल भी सौर उर्जा से चार्ज करना पड़ता है और न ही गांवों मे कोई पोस्ट ऑफिस है। जिस कारण हम पांच गांवों के ग्रामिणों को आज से कृमिक अनशन पर बैठने को विवश होना पड़ रहा है। यदि सरकार ने हमारी सुध नहीं ली पांचों गावों के ग्रामीण एक साथ आमरण अनशन पर बैठने को मजबूर होंगे।
नहीं आया कोई मीडिया समूह
गंगी क्षेत्र के पांच गांवो के चार हजार से अधिक की आबादी पिछले 36 घन्टों से आन्दोलनरत हैं लेकिन सूचना देने के बाद भी न तो कोई मीडिया समूह कवरेज के लिए गंगी पहुंचा न ही शासन प्रशासन से अधिकारी ग्रामिणों से वार्ता के लिए पहुंचा। जिस कारण ग्रामिणों मे मीडिया के प्रति भी आक्रोश है।
*विषम भौगोलिक परिस्थितिया*
गंगी क्षेत्र समुद्र तल से 7300 फीट की ऊंचाई पर स्थित टिहरी जनपद का सीमांत इलाका है और पिछले दो माह से बर्फ से ढका है। यहां आज भी 4000 से अधिक की आबादी विषम भौगौलिक परिस्थितियों मे निवास करती है।
अभी भी गंगी मे पांच फीट तक बर्फ पड़ी हुयी है। जिस कारण यहां अनाज के तौर पर सिर्फ बाजरा और आलू पैदा होता है और 12 किलोमीटर पैदल या खच्चरों लादकर ग्रामीण घुत्तू बाजार पहुंचते हैं। वहां इसे बेचकर वह अपने लिये राशन और रोजमर्रा की जरूरत का सामान खरीदते हैं। इनका प्रमुख व्यवसाय भेड़ बकरी पालन है। इनकी भेड़-बकरियों की संख्या हजारों मे होती है जिस कारण चारे की कमी के चलते यह वर्ष भर प्रदेश के कई जिलों के जंगलों मे एक स्थान से दूसरे स्थान तक घूमते रहते हैं। इन घुमक्कड़ चारावाहों को स्थानीय भाषा मे ‘गद्दी’ कहा जाता है। एक अनुमान के मुताबिक गंगी के ग्रामिणों के पास 10 लाख से भी अधिक उच्च हिमालय नस्ल की बकरी और भेड़ हैं जिनकी सुरक्षा के लिए इनके साथ भोटिया नस्ल के कुत्ते रहते हैं।