सांसद अनिल बलूनी ने पलायन रोकने के लिए एक सामाजिक पहल प्रारंभ करते हुए आज पौड़ी जिले के दूगड्डा विकासखंड के बौरगांव को अंगीकृत किया है। बलूनी कहते हैं,-” मेरा प्रयास होगा कि गांव को मूलभूत सुविधाओं बिजली, पानी, स्वास्थ्य, सड़क और रोजगार के विकल्प तलाश कर पूरी तरह निर्जन हो चुके इस गांव को पुनर्जीवित किया जाय।”
बलूनी ने देश के विभिन्न भागों में बस चुके उत्तराखंड के लोगों से भी आव्हान किया है,-” यह एक सामाजिक अभियान है, आइये हम सब मिलकर पलायन के खिलाफ एकजुट हों, अपने गांव से जुड़ें, स्वयं मेरे परिवार ने भी वर्षों पूर्व अपना गांव छोड़ दिया था, मैं इस पीड़ा को निकट से जानता हूँ।
गांव छोड़ना, अपनी जड़ों से अलग होना है अगर हमें अपनी महान संस्कृति को बचाना है तो गांव को बचाना होगा।”
बलूनी ने सभी से अपील की है,-” इस अभियान में आप सबके सहयोग से हम उत्तराखंड के उन वीरान निर्जन गांवों को पुनः आबाद करेंगे और ‘घोस्ट विलेज’ के कलंक से उन्हें उबारेंगे।”
जहां एक और अन्य सांसदों ने अपने लोकसभा क्षेत्रों से अपेक्षाकृत काफी सही स्थिति वाले गांव गोद लिए और उनकी भी दशा 5 सालों में नहीं सुधार पाए, वहीं निर्जन गांव गोद लेकर बलूनी ने अन्य सांसदों को एक आईना दिखाया है। देखना होगा कि बलूनी किस तरह का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं!
बलूनी ने कहा है कि इस गांव को पुनर्जीवित करने के लिए पहले मूलभूत सुविधाओं बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य और रोजगार से जोड़ा जाएगा ताकि गांव पुनर्जीवित होकर अपने पूर्व के आबाद स्वरूप को प्राप्त कर सके।
इसके लिए वह जल्दी ही इस गांव के प्रवासियों के साथ बैठक करने वाले हैं। तेजी से गांव खाली होते जा रहे हैं। ऐसे में इस तरह के प्रयास रिवर्स माइग्रेशन में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं। राज्यसभा सांसद ने कहा कि बौरगांव को अंगीकृत करने के साथ-साथ इन गैर आबाद गांव को भी पुनर्जीवन की कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। जिसके तहत वे उत्तराखंड के प्रवासी परिवारों और संगठनों के बीच जाकर संवाद करेंगे।