औली में शासन द्वारा स्कीइग स्लोप में घूमने पर शुल्क निर्धारित किए जाने के विरोध में स्थानीय नागरिकों द्वारा एवं औली के स्थानीय पर्यटन व्यवसायियों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया गया।
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औली में भारी संख्या में स्थानीय लोग एकत्रित होकर इस बात का विरोध कर रहे हैं। यदि पर्यटकों को बर्फ के स्लोप में जाने के लिए ₹500 प्रति व्यक्ति और स्थानीय लोगों को ₹200 प्रति व्यक्ति की दर से ही लिया जाना है तो ऐसे में दूर से आने वाले पर्यटक की संख्या में भारी कमी आएगी।
वर्ष 2013 में आपदा का दंश झेल चुके प्रदेश में अभी भी पर्यटन की स्थिति पूर्व की भांति सुचारू रूप से पटरी पर नहीं आई है। इसी बीच लगातार ऐसे विभिन्न प्रकार के आदेश होते जा रहे हैं,जो पर्यटन को हाशिए पर धकेलने के लिए जिम्मेदार हैं।
इसमें से हाई कोर्ट द्वारा बुग्यालो में जाने पर प्रतिबंध तथा हाई कोर्ट द्वारा ही जल क्रीड़ा पर जैसे कि रिवर राफ्टिंग, वोटिंग आदि एक्टिविटीज पर प्रतिबंध लगाने के बाद पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई है।
इसी कड़ी में पर्यटन को रसातल में ले जाने के लिए एक तुगलकी फरमान शासन द्वारा जारी किया गया, जिसके अनुसार बाहर से आने वाले पर्यटकों को औली में स्कीइंग स्लोप में जाने देखने के लिए ₹500 प्रति व्यक्ति तथा स्थानीय लोगों को स्कीइंग स्लोप में जाने और देखने के लिए ₹200 प्रति व्यक्ति की दर से लिए जाने का जो तुगलकी फरमान जारी हुआ है, स्थानीय लोगों में इस बात को लेकर भारी आक्रोश है। इसी के विरोध में स्थानीय लोगों द्वारा आज दिनांक 11 जनवरी को औली में विशाल प्रदर्शन कर किया गया, जबकि प्रशासन का मानना है कि स्लोप के रखरखाव के लिए और अंतरराष्ट्रीय पैमाने पर बनाये रखने के लिए इसके रखरखाव हेतु भारी भरकम खर्चे को पूरा करने के लिए यह कदम उठाया गया है। परंतु इस आदेश से स्थानीय लोगों में काफी आक्रोश है और इसी माह दिनांक 15 जनवरी को मुख्यमंत्री के जोशीमठ भ्रमण के कार्यक्रम के दौरान स्थानीय लोगों द्वारा उनका विरोध करने की भी योजना बनाई जा रही है।
पर्यटन व्यवसायों का कहना है कि जब पर्यटक यहां पर इतने भारी-भरकम खर्चे को वह न करने की स्थिति में आएगा ही नहीं तो फिर अन्य गतिविधियां कैसे संभव हो पाएंगी !
जबकि स्कीइंग स्लोप पर हिम क्रीड़ा करने के लिए जो भी खिलाड़ी स्थानीय एवं बाहर से आते हैं, वह जीएमवीएन को एकमुश्त रकम देने के बाद ही वहां पर कुछ एक्टिविटीज कर पाते हैं।फिर इस प्रकार के आदेशों से लोगों में काफी आक्रोश है। स्थानीय लोगों का कहना है कि शासन का है यह आदेश उनकी समझ से परे है।
बहरहाल जो भी हो परंतु पर्यटन की गतिविधियों के लिए इस तरह के फरमान जारी करना शासन के लिए भी अपने आप में पर्यटन की दिशा में ठीक कदम नहीं कहा जा सकता है।