बॉलीवुड एक्टर हेमंत पांडेय ने सीमांत जनपद पिथौरागढ़ की अनदेखी पर उत्तराखंड सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि मैं इसी जगह पला-बढ़ा हूं और यह मेरा मेरा गृह जनपद है। सरकार की इस क्षेत्र के प्रति बेरुखी उनसे देखी नहीं जा रही है।
हेमंत पांडे ने कहा कि वह क्षेत्र जहां से कैलाश मानसरोवर यात्रा का शुभारंभ होता है और जो सीमांत क्षेत्र है, वहां के हालात को देखकर उन्हें हैरानी हो रही है कि वहां छात्रों को कई दिनों से मजबूर होकर आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। यही नहीं कालेज के पुस्तकालय में पढऩे के लिए छात्रों के लिए किताबें नहीं हैं। यह दर्शाता है कि सरकार को क्षेत्रवासियों की चिंता ही नहीं है। पांडेय ने कहा कि हम अपने जीवन में जो पढऩा चाहते थे, तब वह संभव नहीं हो पाता था, लेकिन आज का दौरान पढ़ाई का है। अगर किसी कालेज की लाइब्रेरी में पुस्तकें ही नहीं होंगी तो उस प्रदेश की उच्च शिक्षा की स्वत: ही पोल खुल जाती है। हेमंत पांडे ने कुलपति से अनुरोध करते हुए कहा कि आप जिस उच्च पद पर बैठे हुए हैं, आप छात्रों की समस्याओं का तत्काल संज्ञान लेकर कार्यवाही करें।
उन्होंने कहा कि आपके कालेज लाइब्रेरी में शर्म की बात है कि किताबें ही नहीं हैं। यदि हैं भी तो 1990 के जमाने की किताबें हैं, जिन्हें पढ़कर छात्रों को कोई फायदा नहीं होने वाला।
यही नहीं उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत पर भी कटाक्षभरे अंदाज में अनुरोध करते हुए कहा है कि,- ”भैजी यह बात ठीक नहीं है। जब पढ़ाई ही ठीक से नहीं हो सकती तो और राजकाज कैसे चलेगा? भैजी यह चिंता की बात है। हम तो आपसे नम्र निवेदन ही कर सकते हैं कि आप इस मामले का संज्ञान लें और तुरंत कार्यवाही करें। इससे आपके लिए भी संदेश जाएगा, क्योंकि शिक्षा ही किसी भी समाज और प्रदेश को सशक्त करने का सबसे बेहतर माध्यम है।”
पांडेय ने पिथौरागढ़ के छात्रों का आह्वान करते हुए कहा कि तुम्हारे इस आंदोलन में मैं भी तुम्हारे साथ हूं। तुम आगे बढ़ो और हमेशा पिथौरागढ़ की छात्र राजनीति को अव्वल रखो।
कुल मिलाकर सरकार को चेताने के लिए सीमांत जनपद से ताल्लुक रखने वाले एक्टर हेमंत पांडे के इस संदेश की समूचे उत्तराखंड में खूब सराहना हो रही है।
अब देखना यह है कि पांडे द्वारा उठाए गएसवालों का समाधान करना मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत एवं उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत अपनी प्राथमिकता में रखते हैं या फिर इस मसले को ठंडे बस्ते में सरकाकर पिथौरागढ़ पहुंचने के लिए मानसून खत्म होने का इंतजार करेंगे!