रिपोर्ट /विजेन्द्र राणा
उत्तराखंड के स्वर्णिम विश्वविद्यालय दून यूनिवर्सिटी में प्रो सुरेखा डंगवाल के कुलपति के पद को संभालते ही दून यूनिवर्सिटी में अत्यधिक बदलाव देखने को मिल रहे हैं।
आपको बता दें कि, प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल को दून यूनिवर्सिटी की पहली महिला कुलपति होने का गौरव भी प्राप्त हुआ है एवं यूनिवर्सिटी के सर्वांगीण विकास में प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल अपनी अहम भूमिका अदा कर रही है।
इसी क्रम में प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल ने पर्यावरण संरक्षण के प्रति एक अनोखी पहल दिखाई है आपको बता दें कि,दून विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल के नेतृत्व में विश्वविद्यालय परिसर में प्रत्येक महीने के पहले सोमवार को वाहनों की आवाजाही बंद रहेगी| जिसकी शुरुआत आज से प्रारंभ की गई|
सेमेस्टर परीक्षाओं के बाद विश्वविद्यालय का आज पहले शैक्षिणक दिवस को “नो वैहिकल डे” घोषित किया गया| जिसके तहत परिसर में विद्यार्थी, शिक्षक, अधिकारी एवं कर्मचारियों ने विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार के बाहर तथा मुख्य द्वार के पास अवस्थित पार्किंग स्थल पर अपने वाहन पार्क की है और परिसर में “नो वैहिकल डे” अभियान को सफल बनाने हेतु पैदल चलकर सहयोग किया|
कुलपति प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल भी कैंप कार्यालय से पैदल ही प्रशासनिक भवन पहुंची| उन्होंने कहा कि, आज “नो वैहिकल डे” के तहत पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाए गए विश्वविद्यालय के इस कदम को सफल बनाने में सभी सदस्यों ने भरपूर सहयोग किया|
विद्यार्थियों ने बड़े उत्साह के साथ वातावरण को प्रदूषण मुक्त करने की योजना में सहयोग दिया| विश्वविद्यालयों के गुणवत्ता मूल्यांकन में ऐसे कदमों का भी मूल्यांकन होता है जो सामाजिक सरोकार से जुड़े होते हैं और इस प्रकार के कार्यों को बेस्ट प्रैक्टिसेज के तौर पर आ जाता है| इस अभियान से हमारे विद्यार्थी पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक होंगे, बल्कि अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकेंगे|
विश्वविद्यालय परिसर स्थित रूसा तथा उच्च शिक्षा निदेशालय के अधिकारियों कर्मचारियों सहित उच्च शिक्षा सलाहकार प्रोफेसर एम०एस०एम० रावत एवं प्रोफेसर के०डी० पुरोहित भी इस अभियान में सम्मिलित हुए और मुख्य द्वार से रूसा कार्यालय तक पैदल ही गए |
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ मंगल सिंह मंद्रवाल साइकिल से विश्वविद्यालय पहुंचे| इस अभियान को सफल बनाने के लिए अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रोफेसर एच०सी० पुरोहित, उप कुलसचिव श्री नरेंद्र लाल, मुख्य वार्डन डॉ सुनीता नैथानी, डॉक्टर गजेंद्र सिंह, वार्डन डॉ० सुधांशु जोशी सभी शिक्षकों,अधिकारियों एवं विद्यार्थियों सहित विश्वविद्यालय के सुरक्षा अधिकारियों ने सहयोग किया|