विनोद कोठियाल, देहरादून
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण पिछले चार-पांच माह उत्तराखंड में भी काफी शांति थी लेकिन इसके बाद राज्य में विकास कार्यों के नाम पर घपले घोटालों और विवादों का दौर भी शुरू हो गया है।
सभी बड़ी योजनाओं का शिलान्यास अपनी विधानसभा डोईवाला में करने की सनक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर इस कदर हावी है कि जानकारी होने के बावजूद अपनी विधानसभा के लोगों की जमीन कब्जाने से भी उन्हें कोई गुरेज नही रह गया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी विधानसभा क्षेत्र के कुआंवाला में कोस्ट गार्ड के महानिदेशक राजेंद्र सिंह के सााथ कोस्ट गार्ड ट्रेनिंग सेंटर का शिलान्यास किया। लेकिन इसका एक हिस्सा मुकेश नाम के एक व्यक्ति की जमीन को कब्जा कर बनाया जा रहा है। दूसरा हिस्सा हिस्सा अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग की जमीन पर बनाया जा रहा है।
जबरन कब्जाई जमीन। अब कहाँ जाए मुकेश !
मुकेश कुमार की जमीन पर जबरन जेसीबी चलाकर रास्ता बना दिया गया। उनकी जमीन पर उद्घाटन करते हुए ना तो मुकेश से अनुमति मांगी गई और ना ही किसी तरह की कोई स्वीकृति ली गई।
मुकेश ने जब इसका विरोध करते हुए जिलाधिकारी के यहां गुहार लगाई तो जिला प्रशासन ने भी इस मामले को सीएम से जुड़ा हुआ देखते हुए मुकेश की गुहार को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया।
जाहिर है कि शिलान्यास करते हुए ना तो जमीन की खसरा खतौनी ठीक से देखी गई और ना ही कोई नक्शा पास किया गया। बस सीधे शिलान्यास कर दिया गया।
मुकेश ने यह जमीन पंजाब नेशनल बैंक से नीलामी में खरीदी थी और यहां पर एक अस्पताल का निर्माण करने जा रहे थे लेकिन इससे पहले जब सरकार ही जमीन कब्जाने पर उतर आए तो भला आम आदमी कहां जाए !
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मुकेश कहते हैं कि उन्होंने बाकायदा अपनी जमीन पर बाउंड्री करके गेट लगा रखा है और गार्ड तैनात कर रखा था। लेकिन एक दिन गार्ड का फोन आया कि उनकी जमीन में गेट खोलकर बाकायदा कुछ लोग अंदर घुसे और उनकी जमीन का मुआयना किया। जाहिर है कि अधिकारियों को यह भली-भांति पता था कि यह जमीन किसी निजी व्यक्ति की है।
मुकेश कहते हैं कि उन्हें कुछ प्रॉपर्टी डीलरों और स्थानीय लोगों का भी फोन आया था कि आप की जमीन के पीछे कोस्ट गार्ड का भर्ती कार्यालय खुल रहा है और आप की जमीन में से 30 फुट बाय 300 फुट का रास्ता लिया जाएगा।
किसी ने नही सुनी
मुकेश ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई और 25 तारीख को जिलाधिकारी को मिले और उन्हें ज्ञापन दिया लेकिन इसके बावजूद जिला प्रशासन के लोग तथा अधिकारी-कर्मचारी 26 तारीख को उनकी जमीन पर जबरदस्ती घुस गए और जेसीबी लेकर उनकी तार बाड़ तोड़ दी तथा उनकी सभी खेती तथा पौधे नष्ट कर दिए। इसके बाद 28 तारीख को वहां पर कोस्ट गार्ड भर्ती कार्यालय का शिलान्यास किया गया।
मुकेश कुमार दुखी होकर कहते हैं कि यदि सरकार को उनकी जमीन से रास्ता निकालना ही था तो कम से कम उनकी जमीन को अधिग्रहीत कर ले या फिर कुछ नहीं तो उन्हें कोई सूचना तो दे देती अथवा कोई आदेश तो देती।
मुकेश कुमार ने सरकार से दरख्वास्त की है कि कम से कम वह इस मामले में अपनी स्थिति को स्पष्ट करें। कहीं भी सुनवाई ना होने से मुकेश काफी परेशान हो गए हैं।
किसी भी तर्क से नही बच सकते सीएम
मुख्यमंत्री यह कहकर नहीं बच सकते कि अपनी ही विधानसभा में आम जनता के साथ हो रहे इस अन्याय का उन्हें कोई संज्ञान नहीं है। क्योंकि तमाम स्थानीय लोग, प्रॉपर्टी डीलर तथा शासन प्रशासन के अधिकारियों से इसकी आपत्ति दर्ज की जा चुकी है।
मुख्यमंत्री को यह नहीं भूलना चाहिए कि महज दो ढाई साल बाद चुनाव लड़ने के लिए फिर से उन्हें इसी डोईवाला में इन्हीं आम लोगों से वोट मांगने भी जाना है। कोस्ट गार्ड भर्ती कार्यालय खोलने के नाम पर भले ही कितने ही करोड़ रुपए मिल जाएं लेकिन तरह का अपयश उन्हें ले डूबेगा।
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