पहले से ही समस्या ग्रस्त उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के नए कारनामे सामने आ रहे हैं। सूचना के अधिकार से तुलाज इंस्टीट्यूट, देहरादून तथा उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय की मिलीभगत का खुलासा हुआ है।
तुलाज इंस्टीट्यूट, देहरादून में अवैध रूप से पढ़ा रहे शिक्षकों की योग्यता पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लग गया है।
यह स्थिति सामने आई है कि संस्थान के उक्त शिक्षकों के पास स्नातकोत्तर की डिग्री भी नहीं है।
उनमें से कुछ नियमों की खिल्ली उड़ाते हुए स्नातक की डिग्री लिए स्नातक के छात्रों को पढ़ा रहे हैं जोकि ए.आई.सी.टी.ई की नियमावली के विरुद्ध है।
गौरतलब है कि तुलाज एटीट्यूट में 4 प्रवक्ताओं में से दो ऐसे हैं जिनके पास m-tech की डिग्री नहीं है तथा शेष 2 प्रवक्ता m-tech टेक की डिग्री बाद में हासिल कर चुके हैं।
अर्जुन सिंह नाम के व्यक्ति ने सूचना के अधिकार का प्रयोग करके मामला सूचना आयोग में भी उछाला तथा वर्तमान में सूचना आयोग ने सूचना के अधिकार उल्लंघन के तहत विश्वविद्यालय को जुर्माना भरने तथा कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है।
हास्यास्पद बात यह भी है कि पिछले पत्राचार के जवाब में उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय ने तुला इंस्टीट्यूट से अपना पल्ला भी झाड़ लिया है तथा समस्त कार्यवाही से स्वयं को अलग करने का निर्णय संस्थान को पत्र द्वारा भेजकर अवगत कराया गया है। गौरतलब है कि पिछले दिनों ही उच्च शिक्षा मंत्री ने उच्च शिक्षा आयोग के गठन की अनुशंसा की है। जबकि उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय अपने संबंधित निजी संस्थानों के साथ अजीब सी मिलीभगत और रस्साकशी में जूझता दिखाई दे रहा है।