सहसपुर विधानसभा में बड़े पैमाने पर सरकारी जमीनों पर कब्जा
रिपोर्ट- सतपाल धानिया
विकासनगर। सहसपुर विधानसभा में सरकारी जमीनो पर कब्जा होना आम बात हो गयी है। सरकारी जमीनो पर कब्जे क़ा खेल आखिर किसकी शह पर हो रहा है, यह बड़ा सवाल है ? एक ओर जहां सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट सरकारी जमीनो पर हुए कब्जे को मुक्त कराने के सख्त निर्देश दे रहें है और किसी भी तरह के अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। बावजूद इसके सहसपुर विधानसभा में भूमाफियाओं के हौसले बुलंद है। बताया जा रहा है कि, राजनैतिक दलो के नेताओ और सरकारी अधिकारी इस खेल में शामिल है। जिस वजह से इन भूमाफियाओं पर किसी की भी हिम्मत नहीं होती है। कार्यवाही करने की पर्वतजन लगातार सरकारी जमीनो पर कब्जे के खेल को प्रमुखता से प्रकाशित कर सरकार तक पहुंचाने का कार्य कर रहा है। लेकिन सरकारी तंत्र की नींद खुलती नजर नहीं आ रही है।
सहसपुर विधानसभा की शीशमबाड़ा ग्राम पंचायत में लगभग एक हजार बीघा ग्राम समाज की सरकारी भूमि हुआ करती थी, लेकिन वर्तमान में गांव में सो बीघा सरकारी जमीन ही बची है और वह भी लोगो ने कब्जा की हुयी है। ग्राम पंचायत में हाल ही में भूमाफिया एक बार फ़िर ग्राम समाज की बेशकीमती जमीन को कब्जा करने में लगे हुए है। पंद्रह बीघा जमीन की चारदीवारी कर उस पर प्लॉटिंग करने की बात ग्रामीण बता रहें है। ग्राम प्रधान व ग्रामीणों द्वारा ग्राम समाज की जमीन पर कब्जे की शिकायत उपजिलाधिकारी विकासनगर व पुलिस चौकी में की है, लेकिन शिकायत के बाद भी भूमाफिया धड़ल्ले से सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर कब्जा करने में जुटा हुआ है।
ग्रामीण अगर विरोध करते हैं तो दबंगों द्वारा ग्रामीणों को भी डराया धमकाया जाता है, इस संबंध में जब क्षेत्रीय लेखपाल को शिकायत की गयी तो लेखपाल बरगलाने क़ा कार्य कर टालमटोल करने में लगा हुआ है और कार्यवाही के नाम पर बहानेबाजी कर रहें है, तो वही जब इस संबंध में उपजिलाधिकारी सौरभ असवाल से बात की गयी तो मौका मुआयना कर कार्यवाही का भरोसा दिलाया गया, लेकिन सवाल यह खड़ा होता है कि, इतने बड़े भूभाग पर आखिर कब्जा किसके इशारे पर किया जा रहा है, और ग्राम प्रधान व ग्रामीणों की शिकायत के बाद भी अवैध कब्जाधारियों पर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है। क्या सत्ताधारी दल के लोगो का संरक्षण प्राप्त है। भूमाफिया को या सरकारी जमीन पर कब्जे के खेल में कोई बड़ी डील हुयी है।
शीशमबाड़ा ग्राम पंचायत में जिस सरकारी जमीन पर कब्जा किया जा रहा है, यह जमीन आसन नदी के किनारे पर है हाल ही में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने नदी श्रेणी की जमीनो पर हुए अतिक्रमण को हटाने के आदेश भी दिये है। बावजूद इसके नदी श्रेणी की जमीन पर बेरोकटोक कब्जा किया जा रहा है। कब्जा करने के बाद आसन नदी नाले में तब्दील कर दी गयी है, अगर यहां आवासीय कालोनी बसाई जाती है, तो आसन नदी क़ा अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। जिसका सीधा असर एशिया के सबसे बड़े वैटलैंड आसन वैटलैंड पर पड़ेगा। जिसे पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम ने राष्ट्र को समर्पित किया था या यू कहा जाये कि, एशिया के सबसे बडे वैटलैंड का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा। साथ ही दर्जनो गांव जो आसन नदी से सिंचाई व पीने का पानी इस्तेमाल करते है, उन्हें भी पानी के लिऐ तरसना पड़ेगा और ग्रामीणों की हजारो बीघा जमीन आसन नदी के समाप्त होने से बंजर हो जायेगी। अगर इस जमीन पर घर मकान बनाए जाते है, तो बरसात के दिनो में भारी जानमाल नुकसान भी होने की संभावना है। क्योंकि बरसात के दिनो में आसन नदी रौद्र रुप ले लेती है।
शीशमबाड़ा गाँव की ग्राम प्रधान मुस्कान, उपग्राम प्रधान नसीबू हुसैन, ग्राम पंचायत सदस्य कादिर, ग्राम पंचायत सदस्य सपना भट्ट, ग्राम पंचायत सदस्य गालिब, ग्राम पंचायत सदस्य जयपाल, ग्राम पंचायत सदस्य रेणू रानी, ग्रामीण आकिल, सलमान, नजाकत अली, इरशाद, रवि चंदेल आदि ने चेतावनी दी है कि, अगर जल्द ही आसन नदी किनारे सरकारी जमीन पर भूमाफिया द्वारा किये गए कब्जे को प्रशासन द्वारा नहीं हटाया गया तो जिलाधिकारी व सरकार का विरोध किया जायेगा और उग्र आंदोलन किया जायेगा। साथ ही आरोप यह भी लगाया है कि, सरकारी व नदी श्रेणी की जमीन पर कब्जा प्रभावशाली लोगो के संरक्षण से किया जा रहा है। जिस वजह से स्थानीय प्रशासन कार्यवाही नहीं कर पा रहा है।