इंद्रजीत असवाल
पौडी रिखणीखाल-:
रिखणीखाल प्रखंड के अंतर्गत उत्तराखण्ड ग्रामीण बैंक कोटड़ी के सभी उपभोक्ताओं को विगत 1 वर्ष से करोना के नाम पर झूठे आश्वासन मिल रहे हैं। बैंक उपभोक्ताओं को अपना ही पैसा समय पर नही मिल रहा है| अनेकों शिकायतों के बाद भी बैंक कर्मियों के कान में जूं नहीं रेंगती।
खबर यह है कि, उत्तराखण्ड ग्रामीण बैंक कोटड़ी सैंण विगत 1 वर्ष से मात्र 2 हजार रुपये ही एक दिन में देता है| ग्राहकों को इस बात का खेद है कि, आज हमारा ही पैसा हमें नही मिल रहा है। ग्रामीण बैंक कोटड़ी सैंण में सभी उपभोक्ताओं का पैसा फंसा है|
खेती काश्तकारों का यह क्षेत्र बैंक में रखी रक़म किसी भी उपयोग में नही इस्तेमाल कर पाती है| बैंक कर्मियों का कहना है कि, मात्र एक बार में ग्राहक 2000₹ की ही निकासी कर सकता है| जिस से ग्राहकों को असुविधा हो रही है।
सुविधाओं के अभाव से पहाड़ पहले ही जूझ रहे थे, उस पर बैंक का रवैया जनता का मनोबल तोड़ रहा है। भविष्य के कठिन वक्त के लिए रखा गया पैसा भी कर्जदार की तरह लेना पड़े, तो ग्रामीणों को बैंक का क्या मुनाफा हुआ। लोगों को भविष्य निधि साहूकार के खूंटे पर बंधी गाय की तरह लग रही है| जिसे देख सकते हैं पर घर नही लेजा सकते।
अनेकों ग्रामीणों का आरोप है कि, बैंक में स्थित तीनों कर्मचारियों का व्यवहार असहनीय है, बदतमीजी से ग्राहकों के साथ व्यवहार किया जाता है। झुंझलाहट गैर जिम्मेदाराना रवैया आवश्यक वार्तालाप कर्मचारियों का दैनिक व्यवहार है| जिस कारण प्रायः ग्राहकों व कर्मचारियों के मध्य बात विवाद हो जाता है।
कभी आर्थिक जमा पूंजी का एक मात्र साधन ग्रामीण बैंक कोटड़ी सैण, आज क्षेत्र के लिए जी का जंजाल बना हुआ है। शादियों का सीजन शुरु हो चुका है, मगर बैंक कहता है कि 2 हजार से अधिक की राशि के लिए 1 हफ्ता पहले डिमांड लिखाए| उस के बाद भी पैसा मिल जाएगा इस की कोई गारंटी नही है|
बैंक तोल्यों डांडा नवेतल्ली गुजरी बड़खेत टतैडिया डबराड से दुर्गम दुरस्त क्षेत्र के लोगों को भी बैरंग लोटा रहा है| ग्राहक 12 से 15km दूर से गाड़ी बुक कर के बैंक आते हैं इस उम्मीद से कि, उन की पूरी रकम मिल जाये| लेकिन 2 हजार का झुंजुना लेकर वापस लौटना पड़ता है।
ग्रामीण बैंक कोटड़ी सैण स्थानीय दुकानदारों पर निभर हैं जब स्थानीय दुकानदार पैसा जमा करेंगे बैंक तब अपने ग्राहकों को कैश देता है और स्थानीय दुकानदार शाम के समय ही कैश जमा करते है| इस बात की भी कोई गारंटी नही कि, कैश जमा होगा। बैंक खजांची ग्राहकों को कहते हैं किसी जमाकर्ता को लेकर आओ फिर उस से जो कैश आएगा मैं आप को पैसा दूंगा| जो ग्राहकों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
बैंक कर्मियों की यह मिलीभगत भी हो सकती है अनेकों स्थानीय लोगों का कहना है कि स्थानीय दुकानदार लोगों से इस का 12 से 15 प्रतिशत भी वसूल कर रहे है, जिस से ग्रामीण बैंक कोटड़ी सैण के ग्राहक अपने आप को ठगा महसूस कर रहे है।
ग्राहकों का कहना हैं कि, यदि अन्य कोई बैंक क्षेत्र में होता तो हम अपने खाता तोड़ देते पर आज मजबूरी बनी हुई है। क्यों कि रथुवा ढाब ग्रामीण बैंक लगातार ग्राहकों को सेवा दे रहा है,रथुवा ढाब बैंक में कभी रोकड़ की कोई शिकायत नही आई| कर्मचारियों का व्यवहार संतोषजनक रहता हैं फिर कोटड़ी सैंण में ही क्यों दिक्क़ते आ रही है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा जिला अधिकारी पौड़ी व ग्रामीण बैंक मुख्यालय देहरादून को शिकायती पत्र लिखा गया है| जिस में सभी जनप्रतिनिधियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं स्थानीय लोगों के दस्तखत होने के बाद पत्र प्रेक्षित किया जाएगा।