भूपेन्द्र कुमार
उत्तराखंड सूचना आयुक्त अक्सर सूचना के अधिकार के अंतर्गत आवेदकों को सूचना न देने वाले लोक सूचना अधिकारियों पर जुर्माना लगाता है और जुर्माना अधिकारियों के वेतन से काटने का आदेश जिला अधिकारी को देते हैं लेकिन उत्तराखंड सूचना आयोग के यह आदेश जिलाधिकारी तक पहुंच ही नहीं पाते, बीच में ही सरकारी कारिंदों की कारीगरी से गायब कर दिए जाते हैं।
उदाहरण के तौर पर राज्य सूचना आयुक्त चंद्र सिंह नपलच्याल ने लोक सूचना अधिकारी मनोज उपाध्याय के विरुद्ध विलंब से सूचना दिए जाने के फलस्वरूप एक नवंबर 2018 को ₹17250 का जुर्माना लगाया था और 3 महीने के अंदर अंदर यह पैसा राजकोष में जमा करने का आदेश दिया था। उन्होंने जिलाधिकारी देहरादून को भी यह आदेश दिया था कि यदि मनोज कुमार उपाध्याय यह पैसा जमा नहीं करते हैं तो वह उनके वेतन से उक्त राशि की कटौती करके राजकोष में जमा कराएंगे और आयोग को भी अवगत कराएंगे।
आयोग ने डीएम को दिया आदेश
लेकिन लगभग साढ़े सात महीने गुजर जाने के बाद भी यह राशि राजकोष में जमा नहीं की गई।
जब इस संवाददाता ने जिलाधिकारी के यहां सूचना के अधिकार में सूचना आयोग द्वारा दिए गए आदेश की जानकारी मांगी तो पता चला कि राज्य सूचना आयोग का आदेश जिलाधिकारी कार्यालय तक पहुंचा ही नहीं है।
डीएम ऑफिस मे नही आयोग का आदेश
डीएम के लोक सूचना अधिकारी ने बताया कि ऐसा कोई पत्र जिलाधिकारी कार्यालय में नहीं पहुंचा है।
बड़ा सवाल यह है कि फिर राज्य सूचना आयोग का पत्र बीच में से ही किसने गायब कर दिया !
जाहिर है कि यह एक बड़ी धांधली है। यह न सिर्फ सूचना चाहने वाले आवेदकों के साथ गंभीर अपराध है, बल्कि जिलाधिकारी से भी तथ्य छुपाने का एक बड़ा अपराध है।
यदि कोई ऐसा रैकेट सक्रिय है, जो जिलाधिकारी तक महत्वपूर्ण आदेश नहीं पहुंचने देता तो ऐसे कर्मचारियों और अधिकारियों का चिन्हीकरण किया जाना भी नितांत आवश्यक हो जाता है।
इस पत्र से जिला आबकारी अधिकारी मनोज कुमार उपाध्याय का भी सीधा सीधा संबंध है, अतः इस पत्र के गायब होने में उनकी भूमिका की भी जांच की जाए तो कुछ नया खुलासा भी हो सकता है।
सूचना ना मिलने पर इस संवाददाता द्वारा प्रथम अपीलीय अधिकारी जिलाधिकारी देहरादून के यहां प्रथम अपील भी योजित कर दी गई है। जिलाधिकारी द्वारा इस संबंध में नोटिस भी जारी कर दिए हैं तथा राज्य सूचना आयोग में भी इस अत्यंत गंभीर मामले की शिकायत भी दर्ज करवा दी है।
देखना यह होगा कि जिलाधिकारी कार्यालय और सूचना आयोग अपने आदेशों का अनुपालन ना होने पर क्या कार्यवाही करते हैं !