जयप्रकाश नौगाईं/पौड़ी
मुंबई से आए प्रवासी उत्तराखंडियों के लिए पौड़ी जिला प्रशासन की लापरवाही भारी पड़ सकती है। विगत दिनों मुंबई से लौटकर पौड़ी गढ़वाल पहुंचे प्रवासियों के साथ एक पॉजीटिव युवक भी आया था, लेकिन उसके बाद अन्य लोगों के जांच के लिए सेंपल नहीं लिए गए और न ही उनकी क्वारंटीन की व्यवस्था की गई। ऐसे में वे प्रवासी सीधे अपने-अपने घरों को चल दिए।
मुंबई से लौटकर पौड़ी जनपद के प्रवासियों को एक हफ्ते के लिए कोटद्वार में क्वारंटीन किया गया था, लेकिन जब उन्हें कोटद्वार से पौड़ी के लिए छोड़ा गया तो पौड़ी जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उन्हें लेने से इनकार कर दिया। ऐसे में मुंबई से लौटने वाले सभी प्रवासी अपने-अपने घरों को चले गए, जबकि जिस गाड़ी में यात्रा करके यह लोग कोटद्वार पहुंचे थे, उसी गाड़ी में एक कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। इसके बावजूद प्रशासन ने उनमें से किसी का सैंपल नहीं लिया। ऐसे में प्रशासन की यह बड़ी चूक मानी जा रही है।
दरअसल मामला जनपद पौड़ी के चौकीसैंण तहसील का है। जब कोटद्वार से क्षेत्र में पहुंचने पर प्रशासन ने उन्हें लेने से इंकार कर दिया तो वे सभी प्रवासी लोग पैदल चलकर अपने घरों को चले गए थे। जब मामला उछला तो तब चाकीसैंण प्रशासन ने उन्हें रात में लेजाकर सभी को एक ही कमरे में क्वारंटीन कर दिया, जबकि उनमें से एक व्यक्ति यात्रा के दौरान पॉजिटिव पाया गया था। वह इन्हीं लोगों के साथ आया था। ऐसे में पौड़ी और चैकीसैंण पहुंचने पर उन अन्य लोगों का सैंपल नहीं लिया जाना प्रशासन की घोर लापरवाही दर्शाता है।
जब स्थानीय तहसीलदार से इसके बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि यह मामला कोटद्वार तहसील से जुड़ा है और इसकी अधिक जानकारी मुझे प्राप्त नहीं है। बाकी जानकारी उप जिलाधिकारी से प्राप्त हो सकती है।
इस मामले में जब पर्वतजन ने उप जिलाधिकारी से वार्ता की तो उनका कहना था कि जिस गाड़ी में कोटद्वार से ये लोग आए थे, उसमें एक व्यक्ति साबर सिंह, जो कि कोरोना संक्रमित था। उसकी वजह से सभी प्रवासियों को क्वारंटीन करना पड़ा।
सवाल यह है कि जब वह प्रवासी कोटद्वार से निकले होंगे तो संभव है कि उन्हें तहसील को अवगत किया होगा, लेकिन प्रशासन ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कह दिया कि हमें इसकी जानकारी नहीं थी कि उस गाड़ी में कोरोना संक्रमित नहीं बैठा था।
इस संबंध में जब पर्वतजन ने मुंबई से लौटे उन तमाम प्रवासियों से पूछताछ की तो उनका कहना था कि हमारी सुध किसी ने नहीं ली। जिससे वे सीधे अपने-अपने घरों को चले गए थे।
जाहिर है कि प्रशासन की यह लापरवाही भारी पड़ सकती है। ऐसे संकट के समय जब पूरा उत्तराखंड अलर्ट मोड में है पूरे प्रदेश में रोजाना सौ से लेकर दो सौ मामले रोजाना सामने आ रहे हैं, तो फिर मामले की संवेदनशीलता को आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है।
सवाल यह भी है कि प्रशासन ने संक्रमित पाए गए साबर सिंह और अन्य को एक साथ एक ही स्कूल में रखा है, जहां पर सोशल डिस्टेंसिंग की धÓिजयां उड़ाई जा रही हैं। ऐसी स्थिति में स्थानीय प्रशासन पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज उनके परिजन समेत 22 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। इससे पहले उनकी पत्नी पूर्व मंत्री अमृता रावत भी कोरोना पॉजिटिव पाई गई है। आज पूरी कैबिनेट को क्वारंटीन किया जा रहा है। ऐसे में पौड़ी जिला प्रशासन की यह पूरे जनपद पर भारी पड़ सकती है। यदि पॉजिटिव पाए गए व्यक्ति को पहले ही अलग से अस्पताल में भर्ती कर दिया जाता या फिर पौड़ी में ही क्वारंटीन किया जाता तो अन्य प्रवासियों पर बीमारी का खतरा कम हो सकता था। अब देखना यह होगा कि पौड़ी जिला प्रशासन पॉजिटिव व्यक्ति के संपर्क में आए लोगों की सूची खंगालने में कितनी मुस्तैदी दिखाता है।