कृष्णा बिष्ट
एसिड अटैक तथा बलात्कार पीड़ित महिलाओं को मुआवजा दिए जाने की स्थिति पर आरटीआई में एक बड़ा खुलासा हुआ है।
आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत सिंह गोनिया ने यह आरटीआई मांगी थी। आरटीआई के अनुसार उत्तराखंड में राज्य बनने से लेकर अब तक एसिड अटैक के 10 मामले पंजीकृत किए गए हैं और बलात्कार के 66 प्रकरण पंजीकृत हुए हैं।
एसिड अटैक की दस पीड़िताओं को मुआवजा दे दिया गया है तथा तीन को अभी दिया जाना बाकी है। इसी तरह से बलात्कार पीड़िताओं में 66 पंजीकृत प्रकरणों में से 55 में मुआवजा वितरित किया गया है और 11 अभी प्रक्रियागत हैं। गौरतलब है कि इस तरह की पीड़ित महिलाओं को निर्भया प्रकोष्ठ में मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है।
जागरूकता का अभाव होने से तथा अधिकारियों की सुस्ती के कारण बलात्कार के मामले मुआवजे के लिए पंजीकृत नहीं हो पाते और जो पंजीकृत होते भी हैं वह भी विभागीय सुस्ती के कारण लटके रहते हैं। यही कारण है कि हर साल निर्भया योजना का वर्ष वार बजट घटता जा रहा है। जबकि बलात्कार के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
वर्ष 2014-15 से लेकर अब तक निर्भया योजना में हर वर्ष मुआवजा दिया जा रहा है। इस साल का बजट प्रावधान सबसे कम रखा गया है। वर्ष 2014-15 मई मे एक करोड़ 57 लाख रुपए जारी किए गए थे तो वर्ष 15 -16 मे एक करोड़ जारी हुआ और मात्र 16.42खर्च हुआ। तथा 16-17 में भी एक करोड़ जारी हुआ और खर्च मात्र 46.83 खर्च हो पाया। पिछले साल इसके लिए अस्सी लाख जारी हुए। इसमे से मात्र 66.63 लाख ही खर्च हो पाए। तो इस साल इसके साठ लाख का ही प्राविधान रखा गया है।जिसमे से शासन ने 50 लाख जारी किए हैं उसमे से भी 42.42 लाख खर्च हुए हैं।