सब कुछ ठीकठाक रहा तो आने वाले दिनों में ‘खेत से बाजार तक’ योजना के तहत प्रदेश के हजारों बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिलने की संभावना है। इसके लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम द्वारा 3340 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है।
उत्तराखंड में इसको लेकर व्यापक रणनीति बनाई गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कृषि और पशुपालन विभाग के अधिकारियों के साथ ही सहकारिता, उद्यान, दुग्ध व मत्स्य विभाग के साथ विचार-विमर्श कर उक्त योजना को मंजूरी प्रदान की। इसके लिए एनसीडीसी ने 3340 करोड़ रुपए धन की स्वीकृति दी है। अगर यह योजना परवान चढ़ी तो इससे प्रदेश में २० हजार लोगों को प्रत्यक्ष, जबकि करीब ३२ हजार लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलने की संभावना जताई गई है।
इस योजना की सफलता के लिए ऐसी रणनीति बनाई गई है कि जिन किसानों के छोटे-छोटे खेत हैं, उनके साथ बंजर जमीन को भी सम्मिलित किया जाएगा। इसके अलावा ऐसी सहकारी समितियों को भी सक्रिय किया जाएगा, जो फिलहाल निष्क्रिय हालत में है।
पशुपालन मंत्री रेखा आर्य कहती हैं कि त्रिस्तरीय सहकारी ढांचा भेड़-बकरी पालकों के लिए गठन कर लिया गया है। लगभग 10 हजार भेड़ व बकरी पालकों को संगठित किया गया है। इसके अलावा हिमालयन मीट के नाम से इस तरह मांस की ब्रांडिंग की जाएगी, जिससे किसानों को मुनाफा हो।
इस उपलब्धि की रूपरेखा तैयार करने वाले सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से पशुपालकों को 5 से 10 गाय उलपब्ध करवाकर छोटे किसानों के दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की जाएगी।
इसके अलावा मछली पालकों को ट्राउट फार्मिंग का प्रशिक्षण देकर उन्हें इस कदर तैयार कर दिया जाएगा उनकी आर्थिकी में बेहतर सुधार हो सके। मछली पालन के लिए किन स्थानों पर तालाब की अनुकूलता पायी जाती है, उसकी संभावना देखकर तालाबों का निर्माण किया जाएगा। उत्पादन के बाद किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके, इसके लिए भी व्यवस्था की जाएगी।