देहरादून का एक नामी स्कूल है, दून इंटरनेशनल। इसके मालिक डी एस मान के स्कूल में एडमिशन पाने के लिए भले ही बड़े-बड़े पहुंच वाले और पैसे वाले लोग अपने बच्चों का एडमिशन कराने के लिए हाथ जोड़कर खड़े रहते हैं, लेकिन खुद डीएस मान को संभवत: स्कूल की दुनिया का मान-सम्मान रास नहीं आता। इसीलिए उनकी माफिया वाली हरकतें आम लोगों का जीना दूभर कर रही हैं। एक और पूर्व आइएएस हैं इंदुप्रकाश एरन।यह उत्तरप्रदेेश मे प्रमुख सचिव रहे हैं। इंदु प्रकाश एरन तथा डी एस मान को पता है कि उसके सामने सरकार प्रशासन के आला अधिकारी सब बौने हैं।
यह है डीएस मान तथा आइएएस इंदुप्रकाश एरन का कारनामा
डी एस मान की राजपुर रोड पर बकराल गांव में .19 एकड़ जमीन थी। इस जमीन में से .16 एकड़ भूमि राज्य सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए अधिग्रहित कर ली थी और उसका पैसा भी डीएस मान के खाते में डाल दिया था। अधिग्रहित करने के बाद डीएस मान के रकबे में मात्र .03 एकड़ भूमि शेष बचती थी किंतु डी एस मान ने मुआवजा लेने के बाद कागजों में हेरफेर करके .16 एकड़ अधिग्रहित भूमि को डॉ. इंदु प्रकाश एरन ( भूतपूर्व आईएएस ) को बेच दी। इंदु प्रकाश एरन ने यह जमीन अपने बेटे आशीष प्रकाश एरन के नाम से खरीदी थी। जबकि डी एस मान को यह जमीन बेचने का अधिकार ही नहीं था। क्योंकि यह जमीन राष्ट्रीय राजमार्ग के नाम पर दर्ज है और उस पर पुरकुल मोटरमार्ग निर्मित है।
पहला काम तो डीएस मान ने गलत किया और अब पूर्व आईएएस इंदु प्रकाश एरन अपने केयर टेकर के साथ मिलकर अपनी जमीन डीएस मान से लेने के बजाए अगल बगल के लोगों की जमीन को कब्जा रहा है। अपने सपोर्ट में इंदु प्रकाश और उसके बेटे आशीष प्रकाश एरन ने कुछ भूमाफियाओं को कथित तौर पर केयरटेकर बना लिया है।
आसपास के लोगों की बाउंड्रियां तोड़कर उनकी जमीन कब्जा करके भू माफिया ने अपनी बाउंड्री बना ली है। लेकिन शासन प्रशासन सब भूमाफिया और इस नामी स्कूल मालिक और इस पूर्व आईएएस की गोद में जा बैठे हैं।
जिन लोगों की जमीन पर कब्जे किए जा रहे हैं, वह शासन-प्रशासन सब जगह जा जाकर थक गए हैं लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं कर रहा है। जबकि सारी रिपोर्ट इनके पक्ष में है।
यह लोग जब पुलिस उपमहानिरीक्षक पुष्पक ज्योति से मिले तो 2 नवंबर 2017 में पुष्पक ज्योति ने एसआईटी जांच के आदेश किए थे। एसआईटी ने भी अपनी जांच में यही पाया कि चेतन तोमर विनय मलिक आदि की जमीन पर आइएएस ने कब्जा कर लिया हैं।
एसआईटी ने अपनी जांच में डी एस मान को दोषी पाया था लेकिन एसआईटी के उप महानिरीक्षक महेंद्र सिंह चौहान ने कार्यवाही करने के बजाए शिकायतकर्ताओं को न्यायालय जाने की हिदायत दे दी। आखिर जब पीड़ित को न्यायालय जा कर ही न्याय मिलना है तो यह पुलिस और एसआईटी आखिर किसके लिए बनाई गई है !
जिन्हें केयर टेकर बताया गया है,पर्वतजन की जानकारी के अनुसार सौरभ चौधरी हाईकोर्ट के एडवोकेट हैं तथा प्रॉपर्टी के केयर टेकर नही बल्कि सिर्फ लीगल एडवाइजर हैं।
लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता ए एस भंडारी ने भी 27 मार्च 2018 पूर्व आईएएस इंदु प्रकाश एरन के पुत्र आशीष प्रकाश एरन को पत्र लिखकर बताया था कि जो भूमि उनके पास है, वह लोक निर्माण विभाग द्वारा सड़क के अंतर्गत खसरे से निकाल दी गई है अर्थात जो भूमि डी एस मान द्वारा उनके पक्ष में विक्रय की गई है वह भूमि पहले ही लोक निर्माण विभाग में सड़क के नाम राजस्व अभिलेखों में अधिग्रहित करके दर्ज कर ली गई है।
प्रशासन की चुप्पी संदेहास्पद
सारे दस्तावेज चिल्ला चिल्ला कर कहते हैं डीएस मान की अपनी जमीन पहले तो pwd ने अधिग्रहित करके मुआवजा जारी कर दिया और उसके बाद मान ने वही जमीन पूर्व आईएएस डॉक्टर इंदु प्रकाश एरन को बेच दी।
अब इंदु प्रकाश एरन कुछ माफिया तत्वों को साथ लेकर बगल के चेतन तोमर तथा विनय मलिक आदि की भूमि को कब्जा रहे हैं।
यह सारे दस्तावेज, एसआईटी की जांच रिपोर्ट और PWD की कार्यवाहियां सभी सूचना के अधिकार में हासिल की गई हैं। इसके बावजूद जिला प्रशासन से लेकर शासन तक कोई भी सुनने को तैयार नहीं है। देखना यह है कि कानून कब तक इनकी जेब की बपौती बनकर रहता है।
और डीएस मान का ये कहना है
दून इंटरनेशनल स्कूल के चैयरमैन डी एस मान ने बताया कि उन पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वो निराधार हैं। श्री मान ने बताया कि उन्होंने कभी भी सरकार से इस जमीन के अधिग्रहण का मुआवजा नहीं लिया। ये ज़मीन उनके पूर्ण स्वामित्व में थी। मौके पर जिस ज़मीन का अधिग्रहण हुआ था वह ब्रिगेडियर जगजीत सिंह की थी, जिसके मुआवजे के लिए उनका केस चल रहा है। “गलती से जो मुआवजा मेरे नाम बना उसको मैंने आजतक रिसीव नहीं किया। यही नहीं तत्कालीन विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी ने पीडब्ल्यूडी को पत्र लिखकर कहा था कि पीडब्ल्यूडी ने जिस भूमि का राजस्व अभिलेख में अधिग्रहण होना दिखाया है, मौके पर सड़क दूसरी ज़मीन से होकर निकली गई है। चूंकि मुआवजा नहीं लिया है और मुआवजे की राशि का ड्राफ्ट कोषागार में लॉकर में रखा है अतः मौके पर जिस जमीन का अधिग्रहण हुआ है, उसके मुताबिक राजस्व रेकॉर्ड सही कर लिए जाएं।” उन्होंने बताया कि चेतन तोमर ने ब्रिगेडियर जगजीत सिंह से उनकी जमीन खरीदी है। “मैंने 33 वर्ष पूर्व मात्र 1 लाख रुपए में श्री इंदु एरोन को बेची थी।”
(नोट: यह खबर अब तक 28जुलाई 2018तक प्राप्त दस्तावेज तथा संबंधित पक्षों से बातचीत के आधार पर है।यदि कोई अन्य तथ्य प्रकाश में आते हैं तो उन्हें भी उचित स्थान दिया जाएगा।)