गिरिराज उनियाल
कल दो फरवरी को पर्वतजन पोर्टल ने “देहरादून में बड़ी घुसपैठ” नाम से एक खबर प्रसारित की थी, जिसमें देहरादून के बंजारावाला चांचक में समून अली नाम के व्यक्ति द्वारा अपने प्लॉट पर सैकड़ों की संख्या में झोपड़ियों में लोगों को बसाने की बात का खुलासा किया गया था।
पर्वतजन की इस खबर का इतना व्यापक असर हुआ कि आज उत्तराखंड पुलिस मौके पर वहां रह रहे लोगों का सत्यापन करने पहुंच चुकी है।
इन झोपड़ियों में रहने वाले लोग असम तथा बंगाल के बताए जा रहे हैं। आशंका इस बात की है कि यह रोहिंग्या हो सकते हैं। पुलिस द्वारा वेरीफिकेशन की कार्यवाही जारी है। पुलिस सूत्रों के अनुसार शीघ्र ही इस पूरी झोपड़पट्टी पर कड़ी कार्यवाही होने जा रही है। प्लॉट मालिक को नोटिस जारी कर दिया गया है।
अभिसूचना इकाई के सूत्रों के अनुसार इन लोगों का पहले भी सर्वे किया गया था। एलआईयू के अफसर अपनी जान छुड़ाने के लिए कह रहे हैं कि इन को हटाना प्रशासन का काम है। बड़ा सवाल यह है कि एलआईयू ने अभी तक इनके दस्तावेजों की जांच क्यों नहीं की ! और अगर उन्होंने दस्तावेज देखे भी हैं तो उनकी सत्यता का प्रमाण क्यों नहीं मांगा !
जाहिर है कि इनमें से कई घुसपैठिए उत्तराखंड के दस्तावेज बना चुके होंगे।
एक बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर यह घुसपैठिए भले ही यहां से उखाड़ दिए जाएंगे, लेकिन वे फिर कहां जाएंगे !
इस पर कौन नजर रखेगा ! कहीं यह लोग एक थाना क्षेत्र से उठकर दूसरे थाना क्षेत्र में तो नहीं बस जाएंगे! पर्वतजन की इस खबर को पर्वतजन पेज से ही 445 से अधिक पाठकों ने शेयर किया तथा पर्वतजन के पेज पर इसे 48000 से अधिक पाठकों ने देखा। यदि 445 अन्यत्र फेसबुक ग्रुप में इस खबर के पढ़े जाने का अंदाजा लगाया जाए तो यह संख्या लाखों में होगी।
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जाहिर है कि अवैध घुसपैठियों पर कार्यवाही के लिए पुलिस प्रशासन को मजबूर होना पड़ा है तो इसका पूरा पूरा श्रेय इस खबर को शेयर करने वाले पाठकों को जाता है। यह असल मायने में खबर का असर नहीं बल्कि पाठकों का असर है। पर्वतजन अपने पाठकों से अनुरोध करता है कि जनहित की खबरों को इसी तरह पढ़ते रहिए, शेयर करते रहिए और अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते रहिए। पर्वतजन उत्तराखंड में खुशनुमा बदलाव का माध्यम है।