वेतन को तरसते राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के कांटे्रक्ट फैकल्टी मेम्बर्स
कुलदीप एस राणा
शासन सरकार के काबू से बाहर प्रतीत हो रही उत्तराखंड आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी अब छात्रों के साथ-साथ फैकल्टी मेम्बर्स के लिए भी अर्द्ध कपारी होती जा रही है।लंबे समय से यूनिवर्सिटी से जुड़े ऋषिकुल ,गुरुकुल, व यूनिवर्सिटी के ही कैंपस कॉलेज में प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के अतिरिक्त शिक्षण से जुड़े अन्य पदों पर कांटे्रक्ट पर रखे गए फैकल्टी मेम्बर्स को वेतन के लिए दर दर भटकने को मजबूर होना पड़ रहा है । यूनिवर्सिटी पिछले काफी लंबे समय से इन फैकल्टी मेम्बर्स को वेतन देने में आनाकानी कर रही है। इन फैकल्टी मेम्बर्स की नियुक्ति वर्ष 2012 में उत्तराखंड शासन द्वारा कॉन्ट्रेक्ट पर की गई थी , गौरतलब है कि वर्ष 2014 के बाद से यूनिवर्सिटी द्वारा अनेक बार अस्सिटेंट प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर के पदों पर नियुक्ति हेतु आवेदन आमंत्रित कर ईनंटरवयू भी किये किंतु इन फैकल्टी मेम्बर्स को यह कहते हुए कि आपको शासन जे कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है लिहाजा आपको वर्तमान चयन प्रक्रिया से बाहर किया जाता है । इन्हें न तो स्थायी नियुक्ति दी गयी ओर न ही कॉन्ट्रेक्ट खत्म किया गया अब पिछले लगभग एक वर्ष से यूनिवर्सिटी इन्हें वेतन देने में आनाकानी कर रही है। यूनिवर्सिटी की इस प्रकार की नीति से परेशान इन फैकल्टी मेंबर्स का कहना है कि तीन -तीन माह के बाद दो माह का वेतन जारी करना व एक माह का वेतन रोक लेना तो जैसे अब यूनिवर्सिटी का नियम बन गया है। इस प्रकार पिछले वित्तीय वर्ष में ही चार माह का वेतन का भुगतान यूनिवर्सिटी ने बिना किसी शाशनदेश के रोका हुआ है वेतन भुगतान में देरी को लेकर जब भी यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन से पूछो तो उनका एक ही जवाब होता है कि फाइनेंस कंट्रोलर ने उनके वेतन सम्बन्धी भुगतान पर आपत्ति लगा रखी है। आश्चर्य की बात है कि यह आपत्ति पहले क्यों नही लगती थी।
जब से यूनिवर्सिटी में कुलपति के पद पर अभिमन्यु कुमार और रजिस्ट्रार के पद राजेश अड़ाना आये तभी से यह समस्या शुरू हो गयी
यूनिवर्सिटी न तो समय पर वेतन देती है न ही हमे छोड़ रही है। तीनो राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में हमारी नियुक्ति के बाद से अभी एक बार भी वेतन वृद्धि नही की गई है। इन तीनो राजकितय आयुर्वेदिक कॉलेज में जब भी सीसीआईएम का निरीक्षण होता है । कॉलेज में मानक हमारी की उपस्थिति के कारण पूर्ण हो पाते है। नियुक्ति के समय अस्सिटेंट प्रोफेसर का वेतन ₹30,000 एसोसिएट प्रोफेसर का ₹32’000 व प्रोफेसर का ₹38,000 नियत किया गया था किंतु जब यूनिवर्सिटी ने अपने स्तर से नियुक्ति हेतु विज्ञप्ति जारी की तो नया उसमे अस्सिटेंट प्रोफेसर के लिए ₹40,000, एसोसिएट प्रोफेसर के लिए ₹50,000 व प्रोफेसर हेतु ₹60,000 के वेतनमान के साथ प्रकाशित किया गया । किंतु हमारे वेतनमान में उक्त के क्रम में कोई बदलाव नही किया गया , काफी जदोजहद के बाद हमे दिए जा रहे वेतनमान में सुधार तो किया गया किंतु उक्त क्रम में बढ़ी हुई धनराशि का भुगतान अभी तक नही किया गया है।
शासन से पूछो तो उनका कहना होता है कि हमने यूनिवर्सिटी को बजट उपलब्ध करवा रखा है। आप यूनिवर्सिटी से बात करें ।
यूनिवर्सिटी में बैठे इन मठाधीशों की पक्षपात पूर्ण नीति का पता इस बात से भी चलता है कि ऋषिकुल आयुर्वेदिक कॉलेज में ही नियुक्त मंत्री के रिश्तेदारों को सेवानिवृति में लाभ पहुचाने के लिए सारे नियम कायदों को ताक पर रख दिया जाता है वही अन्य फैकल्टी मेम्बर्स को नियम कानून का झुनझुना थमा दिया जाता है।
शासन और यूनिवर्सिटी के बीच पीसने को मजबूर इन तीनो आयुर्वेदिक कॉलेज के लगभग 30 फैकल्टी मेम्बर्स अपनी पीड़ा को लेकर दर दर भटकने को मजबूर हो रखे है ।