थराली उपचुनाव में सरकार ने सभी नियम कायदे और संवैधानिक मर्यादाएं ताक पर रख दी हैं।
सरकार के ओएसडी धीरेंद्र सिंह पंवार, ऊर्वा दत्त भट्ट के साथ ही पीआरओ दर्शन सिंह रावत भाजपा के प्रत्याशी मुन्नी देवी शाह को विजयी बनाने के लिए जी तोड़ कोशिश करते रहे हों या नही, लेकिन जनता में पार्टी का प्रचार करते हुए फोटोग्राफ Facebook पर जरूर अपलोड करते रहे। इससे लोगों ने आपत्तियां भी व्यक्त की।
यह सभी ओएसडी और पीआरओ सरकार के कार्यकाल तक सरकारी कर्मचारी हैं और वैधानिक तथा नैतिक दोनों रूप से उपचुनाव में चुनाव प्रचार हेतु नहीं जा सकते। किंतु सरकार ने अपनी नैतिकता ताक पर रखी दी।
उन्हें अपनी वैधानिक गरिमा का भी ध्यान नहीं है। पिछली सरकार में कांग्रेस की तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने भी धारचूला से उप चुनाव लड़ा था और उन्होंने भी अपने ओएसडी नंदन सिंह घुघत्याल तथा पीआरओ खजान धामी को उपचुनाव में लगाया था लेकिन चुनाव में उतारने से पहले उनसे बाकायदा इस्तीफा रखवा दिया था।
इस्तीफा रखवाने की इस नैतिकता का पालन करने की उम्मीद तो प्रचंड बहुमत की सरकार से की ही जा सकती थी, किंतु अति आत्मविश्वास में सरकार तथा सरकार के ओएसडी,पीआरओ इतनी सी नैतिकता का पालन करने की भी जरूरत नहीं समझते। इससे जनता में सरकार की छवि पर असर पड़ता है।
हालांकि यह तो पुरानी परंपरा है जब त्रिवेंद्र जी ने चुनाव लड़ा तो ओएसडी खुल्बे सरकारी पद पर थे। लेकिन रात में उनके साथ घूम कर चुनाव प्रचार किया था। जबकि सरकारी कर्मचारी को चुनाव में नहीं होना चाहिए।
उत्तराखंड राज्य सरकारी कर्मचारी नियमावली 2002 में उल्लिखित नियमों का यह उल्लंघन है। उक्त कृत्य हेतु सम्बंधित कर्मचारियों को वृहद दंड लागू है ।