अमित तोमर
कुछ साल पहले एक दलित लड़की के मोबाइल पर एक दिसम्बर 2015 को अनजान नंबर से एक फोन कॉल आई और उसने अपना नाम अर्नव अग्रवाल बताया। गलत नंबर कहकर लड़की ने फोन काट दिया। किंतु इसी नंबर से बार-बार फोन आने लगे तो लड़की ने उससे बात करनी शुरू कर दी।
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रॉन्ग नंबर से दोस्ती तक
लड़के ने बताया कि वह आगरा का रहने वाला है और हाथरस में काम करता है। धीरे-धीरे लड़का उससे मिलने के लिए देहरादून आने लगा। पहली बार एक जनवरी 2015 को रेलवे स्टेशन पर मुलाकात होने के बाद वे दोनों देहरादून में ही घूमने जाने लगे।
28 दिसंबर 2016 को वह एक बार फिर देहरादून आया और वहां पर घरवालों से मिलकर शादी करने के लिए कहा। लेकिन उसने यह भी कहा कि दलित लड़की होने के कारण घर वाले शादी के लिए तैयार नही हुए। उसे कोर्ट मैरिज करनी पड़ेगी। इस पर लड़की के घर वालों ने शादी करने से मना कर दिया। लड़के ने अपनी फेसबुक आईडी भी अर्नव अग्रवाल के नाम से ही बना रखी थी। लड़का वापस चला गया, लेकिन उनकी बातचीत चलती रही ।
अर्नव अग्रवाल तो मोहसिन खान निकला
18 मई 2017 को एक दिन लड़के ने बताया कि उसका अलीगढ में एक्सीडेंट हो गया है और लड़की से ₹10000 मंगवाए। 19 मई 2017 को लड़की ₹10000 लेकर अलीगढ गई तो पता चला उसका कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ था।
लड़की को बहुत दुख हुआ। लड़के ने कहा कि वह उसे अपने मां-बाप से मिलाना चाहता है और उसको लेकर कासगंज आ गया। और अर्नव अग्रवाल उसे कासगंज में जामा मस्जिद के पास रहने वाले अपने दोस्त शाहिद के घर ले गया।
वहां पर उसे पता चला, उसका नाम अर्नव अग्रवाल नहीं बल्कि मोहसिन खान है। यहां पर उसने लड़की के साथ जोर जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए, जब लड़की ने मना किया, उसे जान से मारने की धमकी दी और उसके साथ बहुत मारपीट की। लड़की के सिमकार्ड भी तोड़ दिए गए।
जबरन मारपिटाई और दुष्कर्मों का दौर
अब लड़की को पता चल गया, वह उनके चंगुल में फंस चुकी है ।वह रोज उनसे बलात्कार करता, लेकिन मारपीट करने के कारण वह विरोध नहीं कर पाती।
एक दिन उसके दोस्त के घर मोहसिन खान के दादी और अन्य परिजन आए और जब उन्हें आपबीती बताई तो उन्होंने भी मोहसिन खान का ही पक्ष लेते हुए कहा कि उन्हें इस्लाम कबूल कर निकाह करना पड़ेगा। जब लड़की ने विरोध किया तो उसे परिजनों के सामने ही पीटा गया और सब ने कहा कि अगर मना किया तो कासगंज से उसकी लाश ही वापस जाएगी।
जबरन धर्म परिवर्तन और निकाह
23 मई 2017 को उसे जबरन बेदर्दी से पीटकर कुछ खाली कागजों पर हस्ताक्षर करवाए। फिर उसे वकील के चेंबर में ले जाया गया। उसे अभी भी पता नहीं चला कि आखिर यह कैसी शादी हो रही है, जिसमे उसे मजिस्ट्रेट के सामने भी नहीं बुलाया गया।
एक दिन वह लड़की को कासगंज वाले घर ले गया। वहां पर उसके घर वालों ने पहले से ही निकाह की तैयारी कर रखी थी। वहां पर एक मौलवी भी आया हुआ था ।
मां बाप निकले दोनों चोर
किंतु वह रोती रही लेकिन उन्होंने उसका जबरन निकाह करा दिया। उसने “कबूल है” भी नही बोला, लेकिन उन्हें इसकी भी परवाह नहीं थी। यहां पर लड़की को 24 मई से 29 मई तक रखा गया। और रोज पीटा गया।
29 मई 2017 को मोहसिन अपने दोस्त रमन के साथ उसे लेकर अपने मां-बाप के घर लुधियाना आ गया। वहां पर उसे पता चला कि उसके भाई और बाप तो चोर हैं।
यहां पर भी उसे 22 जून 2017 तक बंधक बनाकर रखा गया। यहां पर भी मोहसिन तथा उसके घरवाले दोनों उस से जबरन मारपीट करते रहे।
फिर एक दिन उसके मां-बाप किसी तरह से पता करते हुए कासगंज पुलिस चौकी पहुंच गए और कासगंज चौकी में पुलिस के दबाव बनाने पर 22 जून 2017 को पुलिस उनके कासगंज निवासी परिजनों को लेकर लुधियाना आई और उसे लुधियाना से वापस कासगंज लाया गया।
पुलिस ने कराई घर वापसी
कासगंज चौकी में मुस्लिम समाज की भारी भीड़ इकट्ठी थी और वह सब लोग कह रहे थे कि इसे वापस नहीं जाने देंगे। बहरहाल पुलिस के दबाव बनाने पर लड़की को 24 जून 2017 को वापस देहरादून मां बाप के साथ भेज दिया गया। किंतु यहां भी कासिम के फोन लड़की को आते रहते हैं कि वह वापस आ जाए, वरना उसे तथा उसके मां-बाप को जान से मार दिया जाएगा।
दून पुलिस का दर्दनाक रवैया
इस तरह से 18 मई से 24 जून 2017 तक मोहसिन खान ने उसे बंधक बनाकर रखा और उसके साथ जबरन मारपीट करके धर्म परिवर्तन करा कर दुष्कर्म करता रहा।
दलित लड़की ने देहरादून पुलिस अधिकारियों के पास कई बार शिकायत की, लेकिन पुलिस ने उसकी कभी नहीं सुनी।
पाठकों से कुछ सवाल
पर्वतजन के धर्मनिरपेक्ष पाठकों के सम्मुख यह वीडियो कुछ बड़े सवाल खड़े करता है।
जातिवाद और सांप्रदायिकता के नाम पर झंडे-डंडे निकालकर राजनीति करने वाले लोग इस वीडियो को देख कर इस लड़की की आपबीती को क्या नाम देंगे?
कुछ सवाल इस संवेदनशील विषय पर पर्वतजन भी खड़े कर रहा है, जिसके जवाब की अपेक्षा राजनीति के झंडाबरदारों सहित आप सभी संभ्रांत पाठकों से भी है।
पहला सवाल यह है कि यदि यह दो दिलों का प्रेम था तो फिर मोहसिन खान नाम बदलकर लड़की से क्यों मिला?
दूसरा सवाल है कि यह प्रत्येक हिंदू मुस्लिम समाज का व्यक्ति जानता है कि हिंदू मुस्लिम युवक-युवती के संबंध सांप्रदायिक दंगों में बदल जाते हैं तो फिर पहले से ही इसकी परवाह क्यों नहीं की गई ?
तीसरा सवाल यह है कि लड़की जबरन यौन शोषण का शिकार होती रही तो फिर कभी युवक के परिवार वालों अथवा मुस्लिम समाज के लोगों सहित युवक का दिल क्यों नहीं पसीजा ?
चौथा सवाल यह है कि देहरादून पुलिस ने अभी तक लड़की की बात और शिकायत को गंभीरता से क्यों नहीं सुना ?
पांचवा और सबसे अहम सवाल यह है कि हिंदू धर्म के तथाकथित ठेकेदारों ने इस मामले पर मौन क्यों साधा हुआ है ? क्या सिर्फ इसलिए कि लड़की हिंदू जरूर है लेकिन एक दलित है ?
यही कारण है कि आजकल मुस्लिम युवक दलित समाज की लड़कियों को अपना आसान शिकार बना रहे हैं। हम न इसे लव जिहाद कहेंगे और न इसे कोई और नाम देंगे ।
पाठक इस वीडियो को संवेदनशीलता से देखने के बाद खुद तय करें ! आखिर हम कौन से समाज की ओर बढ़ रहे हैं ?