पारदर्शी शासन के नाम पर दिनभर अपने गीत गाने वाली मोदी सरकार के सांसद, मंत्री, विधायक अपने आप को सुप्रीम कोर्ट से ऊपर मानने लगे हैं। कुछ महीने पहले नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड सरकार को आदेश दिया था कि ७२ घंटे के भीतर प्रदेश में किसी भी वाहन पर नेम प्लेट या क्रशगार्ड लगा हो तो उसे हटा दें अन्यथा उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करें। तब से कई महीने बीत गए, सरकार की नजर में कानून का पालन हो रहा है, किंतु धरातल पर हकीकत कुछ और है। प्रदेशभर में आज भी बड़ी संख्या में छुटभैया नेताओं से लेकर मीडिया के लोग और बड़े नेता कोर्ट के उस आदेश का सरेआम उल्लंघन कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि उल्लंघन करने वालों को कानून की जानकारी न हो। आश्चर्यजनक रूप से जिन विधायकों, मंत्रियों, सांसदों ने अपने साथ अपनी सुरक्षा के लिए पुलिसकर्मी तैनात किए हैं। ऐसे लोग अपने वाहनों पर नियम, कायदे, कानून तोड़कर क्रशगार्ड लगी गाड़ी व नेम प्लेट लगाकर भी चल रहे हैं।
बीते शाम को भारतीय जनता पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में शामिल होने आई टिहरी से भाजपा की सांसद राज्यलक्ष्मी शाह एक लक्जरी सरकारी वाहन, जिसका नंबर यूके०९जीए १००० है, लेकर प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंची। उक्त वाहन में सांसद टिहरी गढ़वाल की नियमों को धता बताते हुए पदनाम प्लेट तो लगी ही थी, साथ ही लक्जरी वाहन पर क्रशगार्ड भी लगा हुआ है। देशभर में भारी मात्रा में हो रही दुर्घटनाओं के लिए वाहन के आगे लगा यही क्रश गार्ड जिम्मेदार माना गया, जब इसके होने के कारण लाखों रुपए की गाड़ी में लगा एयरबैग नहीं खुलता। अर्थात टिहरी की सांसद राज्यलक्ष्मी शाह न सिर्फ कोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रही है, बल्कि उन्हें स्वयं की सुरक्षा की भी कोई जानकारी नहीं।
देखना है कि उत्तराखंड का परिवहन विभाग कब तक टिहरी की सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह के खिलाफ इस मसले पर कार्यवाही करता है।