भूपेंद्र कुमार
देहरादून स्थित पुलिस मुख्यालय में मरम्मत के लिए स्वीकृत 57 लाख रुपए का कोई भी हिसाब किताब नहीं है।
पुलिस मुख्यालय के लोक सूचना अधिकारी सहायक पुलिस महानिदेशक प्रशिक्षण एनएस नपलच्याल ने इस संवाददाता से बाकायदा सूचना के अधिकार में स्वीकार किया है कि पुलिस मुख्यालय के भवन की मरम्मत कार्यों के लिए 57 लाख नौ हजार रुपए की धनराशि स्वीकृत की गई थी।
लोक सूचना अधिकारी ने आरटीआई में यह भी स्वीकार किया है कि इस स्वीकृत धनराशि से मरम्मत का कार्य शासन के निर्देशों के अनुसार पीडब्ल्यूडी द्वारा किया गया था और लिहाजा सूचना लोक निर्माण विभाग ही दे सकता है। किंतु पुलिस मुख्यालय इस सूचना को उपलब्ध कराने से इतना अधिक बौखला गया कि जो सूचना नियमानुसार 5 दिनों के अंदर pwd को स्थानांतरित कर दी जानी चाहिए थी, वह उन्होंने 32 दिन बाद जाकर की।
यह सूचना के अधिकार का खुलेआम उल्लंघन है।
इसके बाद लोक निर्माण विभाग से यह पूछा गया कि भवन का कितनी बार रिनोवेशन किया गया और इसके लिए किन समाचार पत्रों में विज्ञप्ति प्रकाशित की गई तथा किस ठेकेदार द्वारा यह कार्य कराया गया है और भुगतान किए गए बिलों की सूचना क्या है !
इस पर लोक निर्माण विभाग निर्माण खंड देहरादून के लोक सूचना अधिकारी इंजीनियर मनोज चौधरी ने एक लाइन का जवाब दे दिया कि अभिलेखों के अभाव में विषयगत सूचना धारित नहीं है।
गंभीर सवाल पुलिस मुख्यालय पर भी खड़े होते हैं 57 लाख 9000 रुपए पुलिस विभाग को स्वीकृत हुए थे यह भुगतान पुलिस विभाग ने ही लोक निर्माण विभाग को किया होगा तो जाहिर है कि जब इस मद में पुलिस मुख्यालय ने भुगतान किया तो कम से कम उसके दस्तावेज तो पुलिस मुख्यालय के पास धारित होने ही चाहिए थे।
जाहिर है कि इस पूरे गोलमाल में लोक निर्माण विभाग और पुलिस मुख्यालय दोनों की मिलीभगत नजर आती है।
देहरादून के सचिवालय से चंद कदम पहले 12 सुभाष रोड पर स्थित पुलिस मुख्यालय का उद्घाटन 13 फरवरी 2001 को हुआ है। जब सचिवालय से चंद कदम की दूरी पर स्थित भ्रष्टाचार मिटाने की जिम्मेदारी उठाने वाले पुलिस महकमे में ही 57लाख9हजार रुपए का हिसाब-किताब नहीं है तो फिर सरकार और शासन की नजर से दूर अन्य संस्थानों की जवाबदेही का अंदाजा स्वयं ही लगाया जा सकता है।