मामचन्द शाह//
पौड़ी गढ़वाल के पौड़ी विधानसभा क्षेत्र में एक मामला ऐसे सामने आया है, जो सत्तासीन भाजपा के जीरो टोलरेंस वाले दावों पर बट्टा लगा रहा है।
दरअसल कल्जीखाल ब्लॉक में 26 करोड़ 58 लाख 34 हजार की चिनवाड़ी पम्पिंग पेयजल योजना में जमकर धांधली हो रही है। यह निर्माण कार्य लखनऊ की आरके इंजीनियर कंपनी को दिया गया है। यह मामला भी पकड़ में नहीं आता, यदि मनियारस्यूं विकास समिति कल्जीखाल, पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत को पत्र भेजकर नहीं करते। फोटो देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभी टैंक का निर्माण कार्य पूरा भी नहीं हो पाया है, लेकिन वह किनारों से दरकने लगा है। इसका कारण यह है कि सीमेंट व रेत बचाने की जुगत भिड़ाए संबंधित कर्मचारी रेत की जगह नदी किनारों की मिट्टी मिश्रित बालू से काम चला रहे हैं। हालांकि सहायक अभियंता नवल कुमार ने इसका विरोध जरूर किया, लेकिन निर्माण एजेंसी के कर्मियों पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ा। हालांकि रास्ते से हटाने के लिए नवल किशोर का ट्रांसफर अन्यत्र जरूर करवा दिया गया है।
मनियारस्यूं विकास समिति कल्जीखाल, पौड़ी गढ़वाल के अध्क्ष दिनेश रावत बताते हैं कि पहले तो इन लोगों ने हमें डराने की कोशिश की कि भजन सिंह के विरोध में कुछ न कहें, लेकिन जब हमारे कहने पर सहायक अभियंता नवल कुमार ने इसकी शिकायत अधिशासी अभियंता पीसी गौतम से की तो उन्होंने भी साफ पल्ला झाड़ दिया कि भजन सिंह के आदेशानुसार ही उक्त कार्य कराया जाएगा। रावत कहते हैं कि अब तक इस योजना में २४ टैंक बन चुके हैं। प्रति टैंक पर २० लाख रुपए खर्चा आ रहा है। अभी भी जिन टैंकों का निर्माण किया गया है, उन पर रेता की जगह डस्ट (पांग यानि मिट्टी मिश्रित धूल) का उपयोग किया गया है। जिस कारण आरसीसी व अन्य सीमेंट उखड़कर झड़ रहा है।
दिनेश रावत कहते हैं कि क्षेत्रवासियों ने कहा है कि जब तब मामले की जांच नहीं की जाती है, तब तक इन टैंकों पर लिंटर नहीं डाला जाए, लेकिन निर्माण एजेंसी ने इस घटिया निर्माण कार्य को छुपाने के लिए इस पर लिंटर डालना शुरू करवा दिया है। यही नहीं समस्त आरसीसी टैंकों की दीवारों पर कमी छुपाने के लिए पलस्टर करने के बाद उस पर सीमेंट का घोल पिलाया जा रहा है।
सहायक अभियंता नवल कुमार कहते हैं कि घटिया निर्माण वाले टैंकों की जांच करवाकर उन्हें ध्वस्त कराया जाएगा।
वहीं अधिशासी अभियंता पीसी गौतम से जब मामले को लेकर पूछा गया तो पहले तो उन्होंने साफ कह दिया कि एक-दो लोगों के विरोध करने पर काम को थोड़ी रोका जा सकता है, लेकिन जब उनसे पूछा गया कि निर्माण कार्य पूर्ण होने के बाद यदि टेस्टिंग होगा और उसमें रिपोर्ट फेल होगी तो तब किसकी जिम्मेदारी होगी। इस पर उन्होंने कहा कि वह मौके पर जाकर मामले को स्वयं देखेंगे। यदि घटिया गुणवत्ता होगी तो इसकी टेस्टिंग कराई जाएगी।
इस संबंध में जब पेयजल निगम के प्रबंध निदेशक भजन सिंह से पूछा गया तो उन्होंने तो इस संवाददाता से उल्टा सवाल दाग दिया कि मामले से संबंधित आपके पास क्या आधार हैं? इस पर जब उनसे कहा गया कि वीडियो, फोटो व सीएम को शिकायती पत्र भी मौजूद हैं। इस पर उनका कहना था कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। यदि इस तरह का मामला आया है तो इसकी जांच कराई जाएगी।
जाहिर है कि पेयजल निगम पौड़ी की प्रकल्प शाखा निर्माण कंपनी के सामने समर्पित हो चुकी है। पेयजल मंत्री प्रकाश पंत की चेतावनी का खौफ भी कहीं नहीं दिखाई दे रहा। इसके अलावा मुख्यमंत्री के जीरो टोलरेंस का भय भी निगम के एमडी व निर्माण एजेंसी आरके इंजीनियर पर नहीं दिख रहा है। जाहिर है कि यदि निर्माण कार्य की शुरुआत या फिर बीच में क्षेत्रवासियों की शिकायत के बाद भी यदि निर्माण कार्य को जारी रखा जा रहा है तो इसमें कहीं न कहीं निर्माण एजेंसी के साथ ही संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत प्रतीत होती है। यदि ऐसा नहीं होता तो क्षेत्रवासियों की शिकायत के बाद जीरो टोलरेंस की सरकार में मामले पर क्विक एक्शन होता।