कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ सरकार द्वारा भवाली के टी.बी.सेनेटोरियम अस्पताल को निजी हाथों में देने के आदेश को निरस्त कर दिया है । कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खण्डपीठ ने सन 2010 में सरकार के सेनेटोरियम के एक हिस्से को आयुष ग्राम बनाने के लिए इमामी ग्रुप को 35 साल के लिये लीज पर गलत तरीके से दिए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका में आज आदेश पारित किया है।
मामले के अनुसार भवाली निवासी मोहम्मद आजम ने न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि भवाली सेनेटोरियम ब्रिटिश कालीन ऐतिहासिक अस्पताल है। इस अस्पताल में कई राजनेताओं के इलाज हुए हैं। पूर्व में तत्कालीन मुख्य मंत्री एन.डी.तिवारी ने इस अस्पताल को चेस्ट इंस्टिट्यूट के रूप में विकसित करने के लिए करोड़ों रूपये की मशीने मंगाई थी, जो अब बिना किसी उपयोग के बेकार हो गयी हैं।
वर्ष 2010 में तत्कालीन मुख्य मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने टी.बी.सेनेटोरियम के एक हिस्से को ‘आयुष ग्राम’ बनाने के लिए 35 साल की लीज पर दे दिया था मामले को सुनने के बाद खण्डपीठ ने सरकार के 2010 के आदेश को निरस्त कर दिया है और साथ ही इस अस्पताल को मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल बनाने के सन्दर्भ में अधिवक्ता दीपक रुवाली की जनहित याचिका में दिए गए निर्देशों को भी प्रभावी माना है।