कुछ दिन पहले उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार ने खनन के मामले में ऐसा पारदर्शी काम किया है, जिसे कोई चुनौती नहीं दे सकता और उस नीति के बाद खनन की आय भी बढ़ गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसके कई आंकड़े भी रखे थे, किंतु मुख्यमंत्री की बात से इतर हकीकत कुछ और भी है।
उत्तराखंड सरकार ने इस बार खनन लॉटों को ऑनलाइन बोली की प्रक्रिया शुरू की है। इसमें सर्वप्रथम सरकार ने लॉट लेने के लिए सशर्त विज्ञप्ति भी जारी की। जिन लोगों द्वारा आवेदन किया गया, उनकी पत्रावलियों की जांच की व उसके उपरांत जिनकी पत्रावली सही पायी गई, उन्हें ऑनलाइन बोली बोलने के लिए आमंत्रित किया गया।
आइए उत्तरकाशी के इस उदाहरण से आपको समझाने का प्रयास करते हैं। ऑनलाइन बोली शुरू होने से पहले सभी पात्र प्रतिभागियों ने सिंगोटी उत्तरकाशी के तीनों लॉटों में पूल करने की सोची, जिसका गजेंद्र सिंह बिष्ट द्वारा विरोध किया गया। जिस दिन सिंगोटी उत्तरकाशी के लॉट नं. 2 की (11/04/2018) बोली बोली गई, उस दिन सब सामान्य रहा। इसमें सरकार द्वारा शुरुआती न्यूनतम धनराशि दो लाख ९४ हजार ३८५ रुपए मात्र रखी गयी थी, जिसमें नं. 3 पर रहे प्रतिभागी द्वारा अपनी अंतिम बोली लगभग ४१ लाख बोली गई। इसके बाद गजेंद्र सिंह बिष्ट व आईडी. संख्या- 20181305211023 धर्मवीर सिंह परमार के बीच निरंतर प्रतिस्पर्धा चलती रही, जिसमें गजेंद्र सिंह बिष्ट द्वारा अंतिम बोली ६३ लाख २१ हजार के लगभग बोली गई व उक्त आईडी. संख्या धर्मवीर सिंह परमार द्वारा लगभग ६५ लाख अपनी अंतिम बोली लगाई गई व विजेता घोषित हो गया।
अब जब सिंगोटी के लॉट नं. 01 की बोली दिनांक- 13/04/2018 को बोली जानी थी तो फिर प्रतिभागियों ने पुन: उक्त लॉट में पूल करने की बात की, जिसे गजेंद्र सिंह बिष्ट ने खारिज कर दिया। जब उस दिन बोली शुरू हुई तो पहले तो कुछ देर बोली सामान्य तरीके से चलती रही। इस लॉट में सरकार द्वारा बोली की न्यूनतम धनराशि एक लाख ३८ हजार छह सौ मात्र रखी गयी थी। जैसे ही उक्त बोली लगभग तीन या चार लाख पर पहुंची तो आईडी. संख्या- 20181305211023 धर्मवीर सिंह परमार ने अपनी बोली लगातार बोलनी शुरू कर दी और कुछ ही मिनटों में अपनी बोली लगभग एक करोड़ २१ लाख पर खत्म करदी।
गजेंद्र सिंह बिष्ट द्वारा इसकी शिकायत उप निदेशक खनन को मेल आईडी के द्वारा व समाधान पोर्टल पर करके दिनांक 15/04/2018 को कर दी थी तथा सम्भावना व्यक्त कर दी थी कि आगामी दिनांक 16/04/2018 को होने वाली बोली में भी इसी प्रकार की साजिश उक्त आईडी. संख्या- 20181305211023 धर्मवीर सिंह परमार करने वाला है। साथ ही गजेंद्र सिंह बिष्ट ने शिकायत में कहा था कि उक्त व्यक्ति अधिकतम बोली बोलेगा, किंतु द्वितीय बोलीदाता के पक्ष में अपनी बोली को सरेन्डर कर देगा।
इसके बाद 16/04/2018 की बोली प्रारंभ हुई, जिसकी शुरुआती बोली की न्यूनतम धनराशि सरकार द्वारा एक लाख ६६ हजार ३२० रुपए मात्र रखी गई थी। जैसे ही उक्त बोली की धनराशि लगभग सात-आठ लाख पहुंची तो उक्त आईडी. संख्या- 20181305211023 धर्मवीर सिंह परमार के द्वारा पूर्व की भांति लगातार अपनी बोली के ऊपर ही बोली बोलता चला गया और कुछ ही मिनटों में अपनी अंतिम बोली को लगभग ९५ लाख पर ले जाकर खत्म कर दिया। इस तरह उक्त बोली प्रक्रिया आधे घंटे में ही समाप्त हो गई। जिसकी शिकायत गजेंद्र सिंह बिष्ट ने उप निदेशक खनन, निदेशक खनन, प्रमुख सचिव खनन, मुख्य सचिव व मुख्यमंत्री कार्यालय को लिखित रूप में कर दी थी। इसके बाद बिष्ट ने 10/5/2018 व 19/05/2018 को उचित स्तर को व 11/05/2018 को समाधान पोर्टल पर लगातार कर दी थी।
इतना सब करने के बाद 04/08/2018 को खनन उप निदेशक का पत्र गजेंद्र सिंह बिष्ट को मिला। इस पत्र में उन्होंने वही बात स्वीकार की है, जिसकी गजेंद्र सिंह बिष्ट के द्वारा शिकायत की गई थी। बावजूद इसके विभाग के द्वारा उक्त मास्टरमाइंड आईडी. संख्या- 20181305211023 धर्मवीर सिंह परमार को ब्लैकलिस्टेड करने के बजाए इस लॉट न0 2 का आवंटन पूर्व में ही कर दिया है। इससे ऐसा लगता है कि विभाग उक्त व्यक्ति का साथ दे रहा है व इस साजिश में उसका बराबरी का भागीदार है। ऐसे में महेश गौड़ को न्याय मिलने की संभावना कम ही लग रही है।
बहरहाल, जीरो टोलरेंस की सरकार में ई-टेंडरिंग जैसी प्रक्रिया में भी जब भ्रष्टाचार की बू आने लगी है तो जाहिर है कि इससे सरकार के प्रति आम जन का विश्वास दूर होता चला जाएगा।