कमल जगाती, नैनीताल
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, दिल्ली, की मुख्य शाखा ने सन 2013 और 2015 कि याचिका को निस्तारित करते हुए पूर्व पुलिस महानिदिशेक बी.एस.सिद्धू पर अवैध रूप से सुरक्षित वन खरीदने और वहां 25 साल के पेड़ काटने के लिए 46 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है ।
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के न्यायिक सदस्य(ज्यूडिशियल मेंबर) न्यायमूर्ति रघुवेन्द्र सिंह राठौर और विशेषज्ञ सदस्य(एक्सपर्ट
मेंबर)सत्यवान सिंह गर्बियाल ने अपने 27 अगस्त को जारी आदेश में कहा कि सिद्धू ने उत्तराखंड का पुलिस महानिदेशक रहते हुए देहरादून के सहस्त्रधारा में सुरक्षित वन अवैध रूप से खरीदा और अपने पद का दुरुपयोग करते हुए वहां 25 साल के पेड़ कटवा दिए । सिद्धू पेड़ कटवाने के बाद सेवानिवृत्त हो गए थे । न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि सिद्धू एक माह के भीतर देहरादून के डी.एफ.ओ.के पास रुपये जमा करें । इसके अलावा न्यायालय ने कहा है कि इस धनराशी को उस कटान वाले विवादित क्षेत्र में नए पौंधे लगाने के लिए इस्तेमाल किया जाए । न्यायालय ने कहा कि ये वन क्षेत्र घना वन क्षेत्र है और ये इको वैल्यू 3 की श्रेणी में आता है ।
सन 2013 में नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की याचिका में यूनियन ऑफ इंडिया, उत्तराखण्ड सरकार, डी.एफ.ओ.देहरादून, बी.एस.सिद्धू को पार्टी बनाया गया था जाबकी सन 2015 की याचिका में बी.एस.सिद्धू ने याचिका दायर कर यूनियन ऑफ इंडिया, उत्तराखण्ड सरकार, वेद प्रकाश महावार, सतीश गुप्ता, शरद सूद, कुलदीप नेगी, वीरेंद्र दत्त जोशी, जगमोहन रावत, श्रीप्रसाद सकलानी और धीरज पाण्डे को पार्टी बनाया था ।
अब ऐसे में पूर्व महानिदेशक को अवैध रूप से सुरक्षित वन खरीदने और 25 साल ले पेड़ काटने के जुर्म में, एक माह में 46 लाख रुपये की धनराशी जमा करनी होगी ।