2019 के लोकसभा चुनाव में एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव लडाए जाने की चर्चा है,तो दूसरी ओर यहां पार्टी के कद्दावर नेताओं में वर्चस्व को लेकर घमासान मचा हुआ है।कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज व शासन के प्रवक्ता मदन कौशिक के बीच लंबे समय से खींचतान बनी हुई है।स्व अटलबिहारी वाजपेयी के अस्थिविसर्जन कार्यक्रम के दौरान यह रार और भी गहरी हो गयी।पार्टी में व्याप्त गुटबाजी को देखकर ऐसा लगता है कि यदि पीएम हरिद्वार से चुनाव लड़े तो मदन कौशिक व सतपाल महाराज की पार्टी में चल रही वर्चस्व की लडाई के बीच मोदी जी धडाम न हो जाएं!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आगामी लोकसभा चुनाव हरिद्वार से लडवाए जाने की चर्चाएं पिछले कुछ समय से मीडिया में बनी हुई हैं।पार्टी अध्यक्ष अमितशाह व पीएम के समय-समय पर हो रहे उत्तराखंड दौरों से इन चर्चाओं को बल मिल रहा है।देश की सौ नदियों में अटलजी का अस्थिविसर्जन कार्यक्रम होने के बावजूद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह की हरिद्वार में अटलजी के अस्थिविसर्जन कार्यक्रम में उपस्थिति से एक बार फिर इन चर्चाओं को हवा मिली है।लेकिन हरिद्वार में पार्टी नेताओं में मचे घमासान ने केंद्रीय व प्रदेश के भाजपा नेताओं की चिंता बढा रखी है।
हरिद्वार में मोटे तौर पर भाजपा तीन गुटों में बंटी हुई है।इनमें एक गुट हरिद्वार सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री निशंक का है।तो दूसरा हरिद्वार विधानसभा में विधायक के तौर पर लगातार चार बार चुनकर आ रहे त्रिवेंद्र सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक का।तीसरे सतपाल महाराज के गुट का अभ्युदय हाल ही में हुआ है।जो निशंक गुट का हमकदम है।
मदन कौशिक व निशंक में अलगाव तब ओर बढ गया जब 2014 में मदन की लोकसभा जाने की तैयारियों पर पानी फेरते हुए निशंक न केवल पार्टी से हरिद्वार लोकसभा टिकट झटक लाए बल्कि गुटबाजी के बावजूद जीत भी गये। सतपाल महाराज गुट का उदय तब हुआ जब गत वर्ष हरिद्वार के मेयर व मदन कौशिक के धुर समर्थक मनोज गर्ग ने जल निकासी के लिए महाराज के आश्रम की दीवार पर बुलडोजर चलवा दिया।जिसके बाद महाराज व मदन कौशिक के समर्थकों में मारपीट तक हुई। महाराज व निशंक गुट ने इस विवाद के बहाने मदन कौशिक को लपेटने के लिए यह पूरा मामला पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष अमितशाह तक पहुंचा दिया।ये विवाद अब भी पार्टी फोरम में लंबित है व पुलिस दोनों पक्षों की तहरीर पर अब भी इस पूरे मामले की जांच में जुटी है।
यूं मदन कौशिक व महाराज में दमखम की लड़ाई तब से है जब महाराज कांग्रेस में हुआ करते थे व नारायणदत्त तिवारी सरकार में मंत्री थे।मदन कौशिक का आवास व महाराज के प्रेमनगर आश्रम की दीवार लगभग एक-दूसरे से सटी हुई है।मंत्री मदन कौशिक के आवास से प्रेमनगर घाट की ओर जाने वाली गली को लेकर उस दौरान दोनों पक्षों में लंबे समय तक तनाव रहा।महाराज ने जब इस मार्ग पर गेट लगाना चाहा तो तत्कालीन विधायक मदन कौशिक ने समर्थकों के साथ गेट उखाड़ डाला।2010 में भी जब महाराज ने अपने आश्रम की सीवर लाईन मदन कौशिक की आवासीय कालोनी खन्नानगर से मिलाने की कोशिश की तो मदन कौशिक समर्थकों के साथ इसके विरोध में महाराज के खिलाफ खुलकर खड़े हो गये थे।हालांकि सतपाल महाराज अब भाजपा में हैं।लेकिन तब के विवादों की गर्मी दोनों के दरम्यान अब भी कायम है।विवाद का एक और कारण यह भी है कि मदन कौशिक वर्ष 2009 से लोकसभा जाने की तैयारियों में हैं।दो बार ऐन मौके पर उनका पत्ता काटा जा चुका है।अब महाराज अवसर मिलने पर अमृता रावत को हरिद्वार से लोकसभा भेजने की तैयारियों में हैं।वाजपेयी जी के अस्थिकलश की यात्रा पहले सतपाल महाराज के प्रेमनगर आश्रम फिर मदन कौशिक समर्थक डा प्रणव पंड्या के शांतिकुंज और फिर भल्ला कालेज पहुंचने के पीछे भी यही अदावत है।अस्थिकलश यात्रा स्थल के लिए प्रेमनगर आश्रम व शांतिकुंज के विकल्पों को त्यागते हुए भल्ला कालेज ले जाने के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है कि इन दोनों ही धार्मिक संस्थाओं ने शुरु से ही एक-दूसरे से दूरी बना रखी है।एक के प्रमुख जहां स्वयं सतपाल महाराज हैं तो दूसरे को मदन कौशिक का समर्थक माना जाता है।
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हरिद्वार में कहीं कोई गुटबाजी नहीं :अजय भट्ट।
“मोदी जी हरिद्वार से लडेंगे इसको लेकर हाईकमान से हमारी अभी तक कोई बात नहीं हुई है।लेकिन यदि वह यहां से लडते हैं तो यह पूरे उत्तराखंड के लिए गौरव की बात होगी।
अटल जी के अस्थि-विसर्जन कार्यक्रम में बदलाव मौसम व सुविधा को देखते हुए किया गया था।न कि गुटबाजी के कारण।हरिद्वार में कहीं कोई गुटबाजी नहीं है।यदि मोदी जी यहां से लड़ते हैं तो पूरी भाजपा मिलकर उन्हें भारी मतों से विजयी बनाएगी।”
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