भाजपा प्रदेश कार्यालय में कार्यरत रही पीड़िता ने आज मजिस्ट्रेट के सामने धारा 164 के अंतर्गत कलम बंद बयान दर्ज करा ही दिए।
यह माना जा रहा है कि अब संजय कुमार के साथ साथ भाजपा के बड़े नेताओं पर भी संकट आ सकता है। साथ ही युवती ने यह भी स्वीकार किया है कि बड़े नेताओं के लपेट में आने के डर से पुलिस भी सरकार और संगठन के दबाव में काम कर रही है।
युवती ने इस बात पर निराशा जाहिर की कि पुलिस अभी तक उनका फोन छीनने वाले पवन थापा तक से पूछताछ नहीं कर पाई है तो भला ऐसे में भाजपा के संगठन मंत्री रहे संजय कुमार से पूछताछ करने का साहस भला कैसे जुटा पाएगी !युवती यह भली-भांति जानती है कि कलम बंद बयान के बाद वह अपने बयान वापस नहीं ले सकती, संभवत इसीलिए युवती पहले इस प्रकरण में भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बड़े नेताओं के स्तर पर कार्यवाही करवाना चाहती थी लेकिन भाजपा और संघ के नेताओं ने कार्यवाही करने के बजाय संजय कुमार का ही बचाव करना उचित समझा। लिहाजा युवती को कलम बंद बयान दर्ज करा कर कार्यवाही को आगे बढ़ाना पड़ा।
इससे पहले यह खतरा भी पैदा हो गया था कि यदि इस प्रकरण में युवती की ओर से देर की गई तो हाई कोर्ट से गिरफ्तारी पर रोक लगने के बाद संजय कुमार का अगला कदम युवती द्वारा कराई गई एफ आई आर को ही निरस्त कराना हो सकता था।
इस प्रकरण के सार्वजनिक होने के बाद से अत्यधिक तनाव में चल रही पीड़िता का पुराना माइग्रेन का दर्द फिर से उभर आया और वह काफी लंबे समय तक सर दर्द से भी पीड़ित रही।
इस कारण बयान दर्ज कराने में हो रही देरी को भाजपा नेताओं ने यह कहकर भुनाना शुरू कर दिया कि युवती जानबूझकर बयान दर्ज नहीं करना चाहती।
किंतु कल 18 जनवरी को हाई कोर्ट से संजय कुमार को फौरी राहत मिलने के अगले ही दिन युवती 164 के तहत बयान दर्ज कराने पहुंच गई।
युवती का कहना है कि यह लड़ाई वह सिर्फ अकेले अपने लिए नहीं लड़ रही है, बल्कि भाजपा में महिलाओं का शोषण और यौन उत्पीड़न काफी लंबे समय से हो रहा है और वह एक सिरे से इस गंदगी को साफ करना चाहती है।
युवती के तेवरों से ऐसा लगता है कि आने वाले समय में इस प्रकरण में भाजपा महानगर अध्यक्ष विनय गोयल से लेकर पवन थापा, बबीता सहोत्रा तथा महिला मोर्चा की कुछ बड़ी नेत्रियां भी लपेटे में आ सकती हैं। यह आंच उन लोगों तक भी पहुंच सकती है, जिनसे युवती ने पहले कार्यवाही करने की गुहार लगाई थी, लेकिन उन्होंने कार्यवाही करने के बजाय यह मामला दबाना ज्यादा उचित समझा।