राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारक और पूर्णकालिक पदाधिकारियों ने आज बैठक करके वर्तमान व्यवस्था और संगठन के प्रमुख पदों पर बैठे लोगों के व्यवहार एवं वक्तव्य पर चिंता व्यक्त की तथा इस व्यवस्था की शीघ्र सुधरने की अपेक्षा संगठन से की है।
पूर्व प्रचारकों ने डॉ मोहन भागवत को भी पत्र लिखकर प्रदेश में वर्तमान पदाधिकारियों की मनमानियों के प्रति अवगत कराया है और इस बात के लिए पीड़ा व्यक्त की है कि उन्हें अलग-थलग छोड़ दिया गया है। इन पदाधिकारियों ने मोहन भागवत को पत्र लिखकर बताया कि संगठन में डर नाम की कोई वस्तु नहीं रह गई है। जिसकी जो मर्जी आ रही है, वह कर रहा है, जिससे संघ की प्रतिष्ठा पर आघात पहुंच रहा है।
एमकेपी कॉलेज देहरादून में आयोजित इस बैठक में प्रदेश भर के पूर्व प्रचारक एवं विभिन्न संगठनों के पूर्णकालिकों ने इस बैठक में इस बात पर चिंता व्यक्त की कि कुछ लोगों के कारण प्रचारक शब्द ही कटघरे में खड़ा हो गया है, जबकि प्रचारक समाज में श्रद्धा का पात्र होता है और उसे श्वेत श्वेत वेश धारी संत भी कहा जाता है। वर्तमान में कुछ लोगों के कारण वर्तमान तथा पूर्व में रहे प्रचारकों के त्याग और समर्पण को नष्ट करने का प्रयास किया जा रहा है जो अत्यधिक व्यथित करने वाला विषय है।
बैठक में तय किया गया कि इस मुद्दे पर एक प्रतिनिधिमंडल प्रांतीय तथा केंद्रीय नेतृत्व से वार्ता करेगा तथा दोषियों के खिलाफ शीघ्र कार्यवाही की मांग करेगा। इस अवसर पर आगामी कार्यक्रमों की भी संरचना तैयार की गई तथा बलवंत सिंह बोहरा को संयोजक और भजराम पंवार और धीरज भंडारी को सह संयोजक नियुक्त किया गया।
बैठक में भास्कर नैथानी, मुनेंद्र शर्मा, चंदन नकोटी, विजय बडोनी कल्याण सिंह, योगेंद्र कुमार, कुलदीप चौहान, वीरेंद्र कुमार, सुमन पंवार, अनिल भारद्वाज, घनश्याम शर्मा, सुभाष जोशी, अवनीश कुमार, चतर सिंह, जितेंद्र सेमवाल, मनवर, तुला राम, विजय थपलियाल, जितेंद्र नेगी सहित भारी संख्या में पूर्व प्रचारक मौजूद थे।