कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के 2013 की नियमतिकरण नियमावली पर अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी है । न्यायालय ने साथ में सरकार को यह भी निर्देश दिए हैं कि नियमतिकरण नियमावली के अन्तर्गरत विभागों, निगमो, परिषदों व अन्य सरकारी उपक्रमो में कर्मचारियों को नियमित न करें । मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आर.सी.खुल्बे की खण्डपीठ में हुई और अब अगली सुनवाई दस दिन बाद की नियत की गई है। मामले के अनुसार नैनीताल जिले के सौड़बगड़ निवासी नरेंद्र सिंह बिष्ठ व अन्य ने याचिका दायर कर कहा था कि वे इंजनीयरिंग में डिप्लोमा होल्डर हैैं और सरकार के अधीन जे.ई.पद के लिए नियुक्ति पाने की पूर्ण योग्यता रखते है। उन्होंने अपनी याचिका में सरकार की 2013 की नियमितीकरण नियमावली को चुनौती दी है । उनका कहना है कि उक्त नियमतिकरण नियमावली सुप्रीम कोर्ट के उमा देवी व एम.एल.केसरी के निर्णय के विपरीत है। परन्तु सरकार उक्त निर्णयो के विपरीत निगमो, विभागों, परिषदों व अन्य सरकारी उपक्रमो में बिना किसी चयन प्रक्रिया के कर्मचारियों का नियमितीकरण कर रही है जो पूर्ण रूप से विधि विरुद्ध है । उक्त नियमावली को सरकार ने सन् 2016 में संशोधित किया था । इस संशोधन नियमावली को हिमांशु जोशी द्वारा उच्च न्यायालय में पूर्व में चुनौती दी गई थी जिसे न्यायालय ने निस्तारित कर दिया था ।