इस मुद्दे पर दोनों दलों की जुगलबंदी
यूं तो केदारनाथ के कपाट बंद हो चुके हैं, किंतु केदारनाथ के ऊपर राजनीति है कि थमने का नाम नहीं ले रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केदारनाथ दौरे के पहले सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केदारनाथ जाकर एक बार फिर संदेश दिया कि यदि केदारनाथ आज पुन: यात्रा लायक बन सका है तो उसके पीछे हरीश रावत ही थे।
हरीश रावत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ धाम में एक ऐसी जनसभा की, जिसके लिए प्रदेशभर से भाजपा कार्यकर्ताओं को ढो-ढोकर ले जाया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लगाए गए आधा दर्जन पत्थरों पर हरीश रावत ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं कि आखिरकार बिना एक भी रुपए दिए नरेंद्र मोदी को इतने सारे पत्थर लगाने की तब क्या आवश्यकता थी, जबकि उन तमाम कामों को पहले ही हरीश रावत पाइप लाइन में ले आए। नरेंद्र मोदी की इस केदारनाथ दौरे की एक खासियत यह रही कि इस बार केदारनाथ के विधायक मनोज रावत को प्रधानमंत्री मोदी से मिलने दिया गया। पिछली बार जब मनोज रावत को किनारे रखा गया तो उन्होंने विधानसभा में विशेषाधिकार हनन का मामला रख सरकार की खिंचाई की।
केदारनाथ पर जारी राजनीति के बीच यदि कोई सवाल लगातार पीछे जा रहा है तो वो कैलाश खेर को दिए गए वे दस करोड़ रुपए हैं, जिन्हें फिल्म बनाने के लिए स्वीकृत तो हरीश रावत ने किया था और अवमुक्त डबल इंजन सरकार ने। फिल्म बनी या नहीं, इसकी उत्तराखंड के किसी आदमी को कोई जानकारी नहीं। हरीश रावत को इस मुद्दे पर तब गरियाने वाले अजय भट्ट अब इस मुद्दे पर डबल इंजन के साथ है। सिंगल इंजन से डबल इंजन के बीच के दस करोड़ रुपए का हिसाब अभी तक उत्तराखंड के लोगों को नहीं मिल पा रहा कि जिस प्रदेश में वृद्धावस्था, विकलांग व विधवा जैसी पेंशनों के लिए पिछले आठ माह से लोग इंतजार कर रहे हैं, वहां इस प्रकार दस करोड़ रुपए की बर्बादी का क्या आशय था!