गिरीश गैरोला
उत्तरकाशी के कृषि महोत्सव में मुख्यमंत्री के साथ पहुंचे सुबह के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने एक नया खुलासा किया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से आज तक किसी भी कृषि मंत्री की मुख्यमंत्री से नहीं बनी है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि उत्तराखंड के पहले कृषि मंत्री महेंद्र सिंह माहरा की मुख्यमंत्री तिवारी से बिल्कुल नहीं बनी। दूसरे कृषि मंत्री खुद सूबे के वर्तमान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी थे। उनकी भी तत्कालीन मुख्यमंत्रियों से नहीं बनी।
तीसरे कृषि मंत्री हरक सिंह रावत की उस वक्त के मुख्यमंत्री हरीश रावत से नहीं बनी ।
अब चौथे कृषि मंत्री के रूप में आज खुद सुबोध उनियाल मौजूद हैं ।किन्तु उन्हें गर्व है सूबे के वर्तमान मुख्यमंत्री जो खुद इस प्रदेश के कृषि मंत्री रह चुके हैं। लिहाजा वह किसानों का दर्द बेहतर तरीके से जानते और समझते हैं । यही वजह है मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में किसानों के हित में अब तक 70 से अधिक निर्णय लिए गए हैं । जिसके बाद पलायन में जरूर कमी आएगी ।
उन्होंने कहा कि पलायन से प्रदेश का राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि पलायन के बाद परिसीमन में पहाड़ों के छह विधायक कम हो गए। जबकि मैदान में छह विधायक बढ़ गए ।
उत्तरकाशी जनपद में भी एक विधायक कम होने से बाल-बाल बच गया। उन्होंने कहा कि राज्य की अवधारणा पहाड़ी प्रदेश के विकास की थी जो पलायन के बाद कहीं नेपथ्य में चली जा रही है । विगत 17 वर्षों में प्रदेश की 15% कृषि योग्य भूमि कम हो गई है। यदि किसानों की स्थिति में और उनकी आय में बढ़ोतरी नहीं की गई तो पलायन का दंश पूरे राज्य को निगल जाएगा।