उत्तराखंड क्रिकेट कमिटी में घुसे मैच फिक्सिंग, फ्रॉड एवं धोखाधड़ी के आरोपी दिव्य नौटियाल
कमिटी औफ एडमिनिस्ट्रेटर्स और बीसीसीआई के ईमानदारी के दावे खोखले
17 साल के संघर्ष और इंतज़ार के बाद उत्तराखंड के खिलाडियों में हर्ष की लहर दौड़ गई जब 18 जून 2018 को नई दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट निर्धारित कमिटी ऑफ़ एडमिनिस्ट्रेटर्स ने ऐलान किया कि उत्तराखंड को क्रिकेट खेलने की अफिलिएशन दी जाएगी. ‘उत्तराखंड क्रिकेट कंसेंसस कमिटी’ का गठन किया गया, उत्तराखंड की चार प्रमुख क्रिकेट असोसिएशन के प्रतिनिधि उसमें सदस्य होंगे और कमिटी उत्तराखंड में ईमानदारी और पारदर्शिता से क्रिकेट का संचालन करेगी।
अब जब इस उत्तराखंड क्रिकेट कंसेंसस कमिटी (युसीसीसी) में ऐसे सदस्य घुस चुके हैं जिनके नाम पर क्रिकेट मैच फिक्सिंग, चीटिंग और फ्रॉड के मुकदमें दर्ज हों तो यह उम्मीद करना की यह कमिटी ईमानदारी से उत्तराखंड के खिलाडियों के लिए काम करेगी ही एक मजाक ही होगा. जी हाँ। उत्तराखंड क्रिकेट असोसिएशन के तरफ से बी.सी.सी.आई. ने दिव्य नौटियाल को युसीसीसी का सदस्य बनाया है, आपको याद होगा बहुचर्चित क्रिकेट मैच फिक्सिंग रैकेट जिसमें पूर्व भारतीय कप्तान अज़हरुद्दीन, पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज प्रभाकर, क्रिकेटर अजय शर्मा के नाम सामने आये थे इस मैच फिक्सिंग रैकेट ने सारे देश को हिलाकर रख दिया था। इसपर सीबीआई जांच बैठाई गई थी, जब सीबीआई ने पूर्व क्रिकेटर अजय शर्मा को गुड़गांव से पकड़ा तब अजय शर्मा जिस ओपल एस्ट्रा कार में भाग रहे थे वह उनके सहयोगी दिव्य नौटियाल की थी।
यह जानकारी सीबीआई रिपोर्ट्स में है, दिव्य नौटियाल भी इस मैच फिक्सिंग रैकेट की एक कड़ी थे, पूछताछ में दिव्य ने यह भी स्वीकार किया कि वह मोहमद अज़हरुद्दीन के पैसे बंगलोर उनके आदमी को पहुँचाया करते थे. इसके बावजूद भी बीसीसीआई ने दिव्य नौटियाल को युसीसीसी सदस्य कैसे बना दिया ?
सीबीआई ने माना था दिव्य को दोषी
दिव्या नौटियाल का कहना है कि वर्तमान में उनके खिलाफ किसी भी थाने में कोई मुकदमा लंबित नहीं है और ना ही कोई आरोप है दिव्या नौटियाल कहते हैं कि यह उनके विरोधियों की साजिश है। दिव्या नौटियाल अपने खिलाफ सीबीआई की किसी भी जांच की जानकारी होने से इनकार करते हैं। यदि दिव्य नौटियाल के दावों को मान भी लिया जाए तो यह सवाल अपनी जगह मौजूद है कि जब आजतक अज़हरुद्दीन, मनोज प्रभाकर, को बीसीसीआई ने अपने से अलग रखा है, तो दिव्य नौटियाल को कैसे अंदर घुसने का दरवाजा मिल गया !
अपेस ग्रुप आफ कंपनीज के कार्यक्रम मे मनोज प्रभाकर(फाइल फोटो)
दिव्य के कारनामे यहीं तक नहीं रुकते हैं, उसी दौरान दिव्य नौटियाल ने अपेस फाइनैंस ग्रुप की 6 विभिन्न कंपनियां जो कि चिट फंड का काम करती थी बनाई और उत्तराखंड के पौड़ी, कर्णप्रयाग,हल्द्वानी, भवाली, नैनीताल जैसे विभिन पहाड़ी इलाकों तथा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के गरीब लोगों के लगभग 50 करोड़ रूपए अपनी कंपनियों में जमा किये और गायब हो गए. दिव्या नौटियाल के खिलाफ उत्तराखंड के हल्द्वानी पुलिस थाने में दिनांक 9/08/1999 को सेक्शन 420, 406, 471, के तेहत आपराधिक मामलें, भवाली पुलिस थाने में दिनांक 23/06/2000 को सेक्शन 420, 406, 471 के तहत आपराधिक मामलें, हल्द्वानी पुलिस थाने में दिनांक 07/03/2000 को दिव्य के खिलाफ सेक्शन 420 चीटिंग और फ्रॉड के आपराधिक मामले दर्ज किये गए।
सवाल है कि जिस व्यक्ति पर देश हिलाकर रख देने वाले क्रिकेट मैच फिक्सिंग रैकेट में शामिल होने के आरोप हों, 50 करोड़ रूपए के चीटिंग और फ्रॉड का मुख्य आरोपित हो, जिस व्यक्ति पर कई थानों में आपराधिक मामलें दर्ज हों, तथा जो व्यक्ति लखनऊ में जन्मा वहीँ बड़ा हुआ और लखनऊ का ही स्थायी निवासी है, ऐसे दिव्य नौटियाल को कमिटी ऑफ एडमिनिस्ट्रेटर्स और बीसीसीआई ने उत्तराखंड की युसीसीसी का सदस्य कैसे बना दिया ?