प्रमोद कुमार डोभाल, देहरादून
“अंतरिक्ष उपयोग केंद्र” के निदेशक एम पी एस बिष्ट ने संस्थान में जमकर लूट मचा रखी है। अंतरिक्ष उपयोग केंद्र को वर्तमान डायरेक्टर ने दुरुपयोग केंद्र में तब्दील कर दिया है।
संस्थान के संसाधनों को घर की बपौती समझने वाले डिस्टर्ब ने अंतरिक्ष उपयोग केंद्र को अपने महंगे शौक को पूरा करने के लिए एक दुधारू गाय समझ लिया है। इसका एक छोटा सा उदाहरण देखिए। 27 जनवरी 2018 को संस्थान के डायरेक्टर एम पी एस बिष्ट ने ₹89,000 का एक Apple iPhone खरीदा है।
सीएम को भी बीस हजार का मोबाइल ही अनुमन्य
आप मुख्यमंत्री, मंत्री, से लेकर किसी अन्य व्यक्ति का नाम नहीं जानते होंगे जिनके पास इतना महंगा मोबाइल फोन होगा। यहां तक कि प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को भी सरकारी खजाने से मोबाइल हैंडसेट दिए जाने की अधिकतम क्रिया सीमा ₹20000 मात्र है। ऐसे में अहम सवाल है कि अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक को 89 हजार रुपए का हैंडसेट खरीदने का साहस कैसे हुआ ?
अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक बिष्ट ने राजपुर रोड के रेडियस सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड से 27 जनवरी 2018 को 89,000 का Apple iPhone खरीदा। जिसका भुगतान संस्थान से किया गया।
यह कहता है शासनादेश
जबकि उत्तराखंड शासन के शासनादेश 383 के माध्यम से मुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य सचिव तथा सचिव स्तर तक के अधिकारियों को अधिकतम ₹20000 के मूल्य तक का ही मोबाइल दिए जाने की लिमिट बांधी गई है। इसके अलावा अपर सचिव तथा मुख्यमंत्री के ओएसडी को ₹15000 तक का मोबाइल ही दिए जाने की अनुमति है।
घर मे नही दाने, अब्बा चले भुनाने
गौरतलब है कि संस्थान के निदेशक ने आउट सोर्स पर 10-12000 प्रतिमाह की नौकरी कर रहे कर्मचारियों को यह कहते हुए निकाल दिया था कि संस्थान के पास वेतन देने के लिए पैसे नहीं है फिर अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करके शासन के आदेशों के बाहर जाकर इतना मंहगा मोबाइल खरीदने के लिए पैसे कैसे निर्गत हो गए ?
पर्वतजन के पास उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार एमपीएस बिष्ट अपने अनाप-शनाप खर्चों को करते रहने के लिए शासन के अधिकारियों के लिए भी अपने संस्थान के पैसे से महंगे महंगे गिफ्ट खरीद कर भेंट करते रहते हैं। यही कारण है कि शासन में बैठे अफसरों का भी एमपीएस बिष्ट को वरद हस्त है।
इसी संरक्षण के कारण कई वर्षों तक संस्थान में आउट सोर्स के माध्यम से शोषण करा रहे कर्मचारी नियमित तो नहीं हो पाए अलबत्ता बाहर जरूर हो गए।
क्या कहता है जीरो टोलरेंस
जीरो टॉलरेंस की सरकार का जुमला प्रचारित कर रही सरकार को यह भी जरूर बताना चाहिए कि जब मुख्यमंत्री को भी मोबाइल खरीद की अधिकतम सीमा राज्यपाल द्वारा मात्र ₹20000 तय की गई है तो जनता के टैक्स की गाढ़ी कमाई से अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के डायरेक्टर ने किस अधिकार से 89 हजार का मोबाइल खरीदा ?
डायरेक्टर की इन्हीं अय्याशियों के कारण अंतरिक्ष उपयोग केंद्र आज अंतरिक्ष दुरुपयोग केंद्र बन गया है। बड़ा सवाल यह है कि क्या इस 89,000 की वसूली डायरेक्टर के वेतन से होगी अथवा यह दुरुपयोग केंद्र यूं ही चलता रहेगा !
संस्थान मे विभिन्न प्रशिक्षणों और सेमिनारों के नाम पर खाने रहने और वाहनों पर भी बेतहाशा खर्च किया जा रहा है लेकिन जीरो टॉलरेंस की सरकार के संरक्षण में सभी आंख बंद किए हुए हैं। देखना यह है कि निदेशक की मनमानियों पर कब तक लगाम लगती है !