–अजेंद्र अजय
इसे महज संयोग कहा जाए या सब कुछ पूर्व निर्धारित. जल पुरुष राजेंद्र सिंह 4 जुलाई को पहले उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में पत्रकारों से बातचीत करते हैं. पत्रकारों को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नाम पर बुलाया जाता है और फिर उस प्रेस कांफ्रेंस में रावत के साथ जलपुरुष भी प्रकट होते हैं. इसके कुछ देर पश्चात राजेंद्र सिंह धार्मिक नगरी हरिद्वार के जयराम आश्रम पहुंचते हैं. यह आश्रम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी का है. जयराम आश्रम में भी राजेंद्र सिंह पत्रकारों से वार्ता करते हैं. इस दौरान उनके साथ ब्रह्मचारी ब्रह्मस्वरूप के अलावा कांग्रेस से जुड़े़े कुछ अन्य संत भी रहते हैं.
दोनों स्थानों पर गंगा संरक्षण को लेकर राजेंद्र सिंह के आरोप चौंकाने वाले ही नहीं, अपितु हैरान भी करते हैं. उनके आरोप लगाने का अंदाज एक सामाजिक कार्यकर्ता के बजाय एक विपक्षी राजनेता वाला ज्यादा था. राजेंद्र सिंह ने गंगा स्वच्छता के मुद्दे पर सीधे प्रधानमंत्री पर ऐसे आरोप लगाए जैसे आज-कल विपक्षी पार्टियों के नेता बात-बेबात के लिए मोदी को कोसते हैं. यह शायद संगति का ही असर था कि राजेन्द्र सिंह कांग्रेस नेताओं के अंदाज में मोदी को गरियाने लगे. कांग्रेस नेताओं द्वारा प्रेस कांफ्रेंस आयोजित किया जाना और फिर राजेन्द्र सिंह द्वारा केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकारों पर आरोप लगाना आसानी से किसी के भी गले नहीं उतर रहा है.
देहरादून में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के नाम से बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस को राजेंद्र सिंह द्वारा संबोधित किए जाने पर मीडियाकर्मी खुद भी हैरान थे. रावत के साथ प्रेस कान्फ्रेंस साझा करने के सवाल पर सिंह ने सफाई दी कि जब घर में आग लग गई हो और कोई एक बाल्टी पानी लेकर आए तो उस समय पानी लाने वाले की जात नहीं पूछी जाती. उन्होंने यह भी जोड़ा कि हिमालय जल रहा है. उसे बचाने के लिए जो भी आगे आएगा उसका स्वागत है.
राजेंद्र सिंह के इस तर्क पर कोई निरा मूर्ख भी असहमत नहीं हो सकता है कि आग बुझाते समय पानी लाने वाले की जात नहीं पूछी जाती. मगर राजेन्द्र सिंह अपने बगल पर बैठे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत समेत अन्य कांग्रेसी नेताओं से यह तो पूछ ही सकते थे कि आजादी के इतने दशकों तक देश व प्रदेशों में कांग्रेस की सरकारें रहीं. उन्होंने गंगा संरक्षण व स्वच्छता के लिए क्या किया? इतने वर्षों तक सरकार में रहने के बाद गंगा की दुर्दशा के लिए कौन जिम्मेदार है? यह मुद्दा अलग है कि बांध बनने चाहिए या नहीं. मगर राजेंद्र सिंह भूल गए कि जिन बड़े बांधों के निर्माण का विरोध वो और स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद ऊर्फ प्रो.जीडी अग्रवाल कर रहे हैं. उनकी स्वीकृति कब मिली थी?
राजेन्द्र सिंह गंगा की स्वच्छता, अविरलता व बांध निर्माण के विरोध में हरिद्वार में अनशन पर बैठे स्वामी सानंद के समर्थन में दो दिनी सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं. इस सम्मेलन में पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश से लेकर हरीश रावत तक कई कांग्रेसी नेता शामिल हो रहे हैं. राजेंद्र सिंह प्रेस कांफ्रेंस में अपने बगलगीर हरीश रावत से यह सवाल क्यों नहीं पूछ पाए कि वर्ष 2013 में प्रदेश और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी. तब कांग्रेस सरकार ने अनशन पर बैठे स्वामी सानंद को जेल में क्यों डाल दिया था? बाद में सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश पर स्वामी सानंद को रिहा किया गया था. जल पुरूष को हरीश रावत से यह सवाल तो करना ही चाहिए था कि केंद्र सरकार में जल संसाधन मंत्री रहते हुए उन्होंने इन तमाम मुद्दों पर क्या पहल की थी?
सवाल तो तमाम और भी उठेंगे. सवाल यह भी उठेगा कि जल पुरूष जो बोल रहे हैं और कर रहे हैं, क्या वह आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस के चुनाव अभियान का एक हिस्सा है? क्या यह जल पुरुष का कांग्रेसी अवतार है? यह संदेह व्यक्त करने के और भी कई कारण हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो राजेन्द्र सिंह कोरे आरोप लगाने से पहले तथ्यों पर नजर जरूर डालते.
केंद्र में सरकार के गठन के पश्चात गंगा संरक्षण व स्वच्छता को प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल किया. जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक गंगा संरक्षण से संबंधित योजनाओं के लिए केंद्र सरकार ने ₹20,000 करोड़ की राशि स्वीकृत की है. अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र (एसटीपी), घाट व श्मशान स्थलों का विकास, नदी तट विकास, नदी सतह की सफाई, जैव विविधता संरक्षण, वानिकीकरण, ग्रामीण स्वच्छता जैसी गतिविधियों पर 195 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है. 251 प्रदूषणकारी उद्योगों को बंद किया गया है. 938 उपक्रमों में वास्तविक समय पर प्रदूषण की निगरानी की जा रही है. 211 ऐसे नालों की पहचान की गई है जो गंगा को प्रदूषित कर रहे हैं. नालों के परिशोधन के लिए 20 एसटीपी निर्मित किए गए किए गए हैं. पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए 44 जल गुणवत्ता निगरानी प्रकोष्ठों का संचालन किया जा रहा है. यमुना में प्रदूषण को कम करने के लिए 4722 किमी लंबा सीवर नेटवर्क तैयार किया जाएगा।
अच्छा होता है कि राजेंद्र सिंह कांग्रेस नेताओं के साथ बैठ कर प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाने से पहले केंद्र द्वारा गंगा संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी ले लेते। बहरहाल, लोकसभा चुनाव के मद्देनजर ऐसे तमाम आरोप आगे भी लगते रहेंगे. मगर इन सबके बीच केंद्रीय गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी का बयान आश्वस्त करने वाला है, जिसमें उन्होंने मार्च, 2019 तक गंगा को 70 से 80 प्रतिशत तक स्वच्छ बनाने की उम्मीद जताई है।
(लेखक उत्तराखंड सरकार में मीडिया सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष रहे हैं)