केंद्र सरकार के बहुप्रतीक्षित लोकपाल के नियुक्ति पत्र ने उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार को पशोपेश में डाल दिया है। केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस पी सी घोष को देश का पहला लोकपाल नियुक्त किया है। वह अभी एनएचआरसी के सदस्य हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत 2 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने जा रहे हैं और भाजपा के घोषणा पत्र में 100 दिन के भीतर लोकपाल गठन का वायदा किया गया था किंतु इन 2 वर्षों में त्रिवेंद्र रावत यह कहते रह गए कि वह भ्रष्टाचार मुक्त सरकार चला रहे हैं इसलिए लोकपाल की आवश्यकता नहीं।
16 मार्च को केंद्र में लोकपाल की नियुक्ति होने के बाद उत्तराखंड में भी लोकपाल के चयन को लेकर डबल इंजन सरकार भारी दबाव में है।
देखना है कि केंद्र सरकार द्वारा लोकपाल नियुक्त करने के बाद त्रिवेंद्र रावत क्या कदम उठाते हैं !
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि केंद्र में लोकपाल की नियुक्ति के बाद त्रिवेंद्र रावत को उत्तराखंड में लोकपाल नियुक्त करना ही पड़ेगा और अब किसी प्रकार का कोई बहाना शायद ही काम कर पाए।
बहरहाल इतना तय है कि यदि बिना ना नुकुर के लोकपाल उत्तराखंड में भी नियुक्त हो जाते हैं तो जीरो टोलरेंस के मुद्दे पर सरकार के हाथ और मजबूत हो जाएंगे।