गरमाई जिला पंचायत में गुटबाजी।
अध्यक्ष के खिलाफ जुटने लगे सदस्य। राज्य वित्त में बंदर बांट का आरोप।
अपर मुख्य अधिकारी ने दिया राज्य वित्त पर स्थगन का आदेश।
गिरीश गैरोला
अपने गठन से लेकर विवादों में रही उत्तरकाशी जिला पंचायत में एक बार फिर निष्ठाएँ बदल गयी हैं। जिला पंचायत और मुख्य विकास अधिकारी के बीच चले विवाद में कुछ सदस्यों ने cdo से मिलकर खुद को उक्त विवाद से अलग करते हुए थाने में दर्ज एफआइआर से उनके नाम हटाने का अनुरोध किया है। इतना ही नही उन्होंने राज्य वित्त में स्वीकृत 760.93 लाख की धनराशि के बंदर बांट का आरोप लगाते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है। जिस पर अपर मुख्य अधिकारी ने अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी है।
गौरतलब है कि जिला पंचायत उत्तरकाशी में अध्यक्ष पद को लेकर आरम्भ से ही गुटबाजी सामने आती रही है। अध्यक्ष पद के लिए दूसरे को सपोर्ट करने वाले 9 सदस्यों को योजनाओ में शामिल नही करने के आरोप तो चल ही रहे थे कि इस बीच जिला पंचायत अध्यक्ष जसोदा राणा और सीडीओ आईएएस विनीत कुमार के बीच विवाद हो गया, जिसके बाद कुछ सदस्यों को साथ लेकर अध्यक्ष ने उक्त अधिकारी के तबादले की मांग करते हुए सदन की बैठक का बहिष्कार कर दिया किन्तु गुजरते वक्त के साथ उक्त अधिकारी का ट्रांसफर न होते देख अध्यक्ष जिला पंचायत एक सदस्य दीपक बिजल्वाण को छोड़कर बाकी सदस्यों के साथ नारेबाजी करते हुए सीडीओ कक्ष तक पंहुची और उन्हें उनके कक्ष में बंद करते हुए बाहर से ताला लगा दिया और घंटों बाहर बैठकर नारेबाजी शुरू कर दी थी। इस दौरान मौके पर भारी पुलिस बल के साथ सीओ पुलिस, कप्तान ददनपाल , एसडीएम और खुद डीएम भी मौजूद रहे थे।
बाद में विधायक गंगोत्री गोपाल रावत की मौजूदगी में cdo को कक्ष से बाहर निकालते हुए सदस्यों को शांत कराया गया था। किन्तु इस बीच सीडीओ ने खुद अपने नाम से जिला पंचायत अध्यक्ष और कुछ नामजद सदस्यों के खिलाफ पुलिस कोतवाली में तहरीर दी थी, जिसमे खुद को कमरे में बंधक बनाने, सरकारी काम मे बाधा और केरोसिन तेल छिड़क कर किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के आरोप लगाए गए थे।
थाने में मामला जाते देख जिला पंचायत में हड़कंप मच गया। और उच्च न्यायालय में खुद की गिरफ्तारी के खिलाफ अथवा एफआईआर के स्थगन के लिए अध्यक्ष ने कुछ सदस्यों के साथ दौड़ भाग शुरू कर दी है। इधर कुछ जिला पंचायत सदस्यों ने सीडीओ को ईमानदार बताते हुए पूरे मामले से खुद को अलग कर लिया। जिला पंचातय सदस्य जोगेन्दर सिंह रावत , विनीता रावत और सरिता राणा ने मुख्य विकास अधिकारी से मिलकर बताया कि उन्हें तालाबंदी वाली घटना में भ्रम में रखा गया था लिहाजा वे अपनी गलती स्वीकार करते हुए खुद को अध्यक्ष द्वारा किए गये इस कृत्य से खुद को अलग करते हैं।
जिला पंचायत सदस्य सरिता राणा ने बताया कि विकास की योजनाओं के आवंटन को लेकर उनसे कभी भी वार्ता नही की जाती है जबकि बेहद निजी झगड़े के लिए जिला पंचायत सदस्यों को भ्रम में रखते हुए एकजुटता दिखाने का नाटक किया जाता है। उन्होंने बताया कि राज्य वित्त की 760.93लाख की योजनाओं में जिले के सात सदस्यों के वार्ड में कोई भी बजट नही दिया गया है।
गौरतलब है कि 27 अप्रैल 18 को जिला पंचायत द्वारा राज्य वित्त के बजट को खर्च करने के लिए टेंडर अथवा कोटेसन आमंत्रित करने के निर्देश दिए गए थे जिसे जिला पंचायत सदस्य जोगेन्दर सिंह रावत और अन्य की लिखित शिकायत के बाद अपर मुख्य अधिकारी ने अग्रिम आदेश तक स्थगित कर दिया है।
जिला पंचायत सदस्यों की डगमग कर रही निष्ठा भले ही योजनाओं की झोली भरने से तृप्त हो जाय किन्तु अध्यक्ष समेत नामजद सदस्यों पर मुकदमा चला और गिरफ्तारी हुई अथवा सजा हुई तो चुनाव लड़ने वाले कुछ चेहरों के राजनैतिक भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग सकता है।