चार दिन पहले कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच मंच पर ही गर्मागर्म बहस की रार अभी थमी भी नहीं कि कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए उमेश शर्मा काऊ भी अब त्रिवेंद्र रावत के निशाने पर हैं। एक ओर भाजपा हाईकमान सांसद, विधायक से लेकर नगरपालिका अध्यक्ष, सभासद, पार्षद पद के प्रत्याशी कांग्रेस से लेकर भाजपा में शामिल करवाकर सरकारें बनवा रहे हैं, वहीं दूसरे दलों से आए नेता त्रिवेंद्र रावत को फूटी आंख नहीं सुहा रहे।
निकाय चुनाव भले ही निपट गए हों, किंतु मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत सहित तमाम भाजपाइयों का आपसी झगड़ा निपटने का नाम नहीं ले रहा है। रायपुर के विधायक उमेश शर्मा काऊ त्रिवेंद्र रावत की आंखों में बुरी तरह चुभ रहे हैं। त्रिवेंद्र रावत समर्थक २०१२ की उस टीस को भुला नहीं पा रहे हैं, जब उमेश शर्मा काऊ ने त्रिवेंद्र रावत को रायपुर से विधायक का चुनाव हरा दिया था। तब प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस से मात्र एक सीट पीछे रह गई थी और उसी एक सीट की बढ़त के कारण प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी।
उमेश शर्मा के अब भाजपा में आने के बाद उमेश शर्मा के समर्थकों के निकाय चुनाव में एक के बाद एक टिकट काटने का अंजाम यह हुआ कि त्रिवेंद्र रावत द्वारा पार्षद के लिए दिए गए टिकट वाले लगभग आधा दर्जन प्रत्याशी चुनाव हार गए, जबकि विधानसभा चुनाव में उन क्षेत्रों में उमेश शर्मा काऊ के समर्थक रहे निर्दलीय प्रत्याशी जीत गए।
त्रिवेंद्र रावत निकाय चुनावों में पार्षद प्रत्याशियों की हार के माध्यम से उमेश शर्मा पर हमलावर हैं। लगातार तीन दिनों से उमेश शर्मा काऊ के पुतले फूंके जा रहे हैं और उन्हें भाजपा से बाहर करने की मांग की जा रही है।
गौरतलब बात यह है कि जिस रायपुर विधानसभा से उमेश शर्मा काऊ विधायक हैं, उस सीट से भाजपा के मेयर प्रत्याशी मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत के खास सुनील उनियाल गामा साढ़े 17 हजार वोटों से आगे रहे, जबकि पूर्व मेयर व वर्तमान में धर्मपुर विधानसभा के विधायक विनोद चमोली की धर्मपुर विधानसभा सीट से सुनील उनियाल गामा ९ हजार वोटों से पीछे रहे। सुनील उनियाल गामा आज धर्मपुर के उन विधायक विनोद चमोली को धन्यवाद देने गए, जिनकी विधानसभा से हार का सामना करना पड़ा, वहीं दूसरी ओर भाजपाइयों द्वारा उमेश शर्मा काऊ पर हमले लगातार जारी हैं। जिस वक्त प्रदेश में कांग्रेस पार्टी दोफाड़ हुई और नौ विधायक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए, तब भी त्रिवेंद्र रावत नहीं चाहते थे कि उमेश शर्मा काऊ भाजपा में शामिल हो।
ज्ञात रहे कि विधानसभा चुनाव २०१७ में उमेश शर्मा काऊ रायपुर विधानसभा सीट से पूरे प्रदेश से रिकार्ड बनाते हुए ३६ हजार वोटों के अंतर से जीतने में सफल रहे। देखना है कि त्रिवेंद्र रावत और उनके समर्थक उमेश शर्मा काऊ को भाजपा से बाहर करने के लिए अब क्या नया शिगूफा छेड़ते हैं।