देहरादून। जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग प्रकरण में तत्कालीन मंत्री, विधायक और पत्रकार को हाईकोर्ट से नोटिस दिए जाने की जानकारी दी।
रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि उनके हाईकोर्ट के वकील ने बताया कि उच्च न्यायालय, नैनीताल में योजित जनहित याचिका सं. 114/2016 रघुनाथ सिंह नेगी बनाम् भारत सरकार व अन्य में उच्च न्यायालय की खण्डपीठ के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश आ. राजीव शर्मा व न्यायधीश आ. मनोज तिवारी द्वारा पारित आदेश दिनांक 28.08.2018 के द्वारा स्टिंग करने वाले तत्कालीन मंत्री हरक सिंह रावत, विधायक मदन सिंह बिष्ट एवं पत्रकार उमेश शर्मा व सीबीआई सहित अन्य को चार सप्ताह का नोटिस जारी किया है।
उन्होंने कहा कि जनहित याचिका में न्यायालय से आग्रह किया गया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल के समय किये गये स्टिंग करने वालों के इतिहास की भी जांच होनी चाहिए, क्योंकि जिनके द्वारा जो स्टिंग किये गये थे, वो जनहित में न होकर व्यक्तिगत स्वार्थों से परिपूर्ण थे। स्टिंगबाजों में से एक स्टिंगबाज उमेश शर्मा पर एक दर्जन से अधिक ब्लैकमेलिंग, फर्जीवाड़े व अन्य संगीन अपराधों में मुकदमें दर्ज थे। उनके द्वारा अपने स्वार्थों के चलते प्रदेश को गर्त में ढकेलने के उद्देश्य से हरीश रावत का स्टिंग किया गया, जिस कारण प्रदेश के तमाम विकास कार्य ठप हो गये थे।
नेगी ने न्यायालय से मांग की थी कि हरीश रावत के स्टिंग में शामिल समस्त स्टिंगबाजों की भी सीबीआई जांच होनी चाहिए, क्योंकि इनका इतिहास किसी से छिपा नहीं है तथा इन्होंने निजी स्वार्थों के चलते स्टिंग को अंजाम दिया। चूॅंकि हरीश रावत वाले मामले में सीबीआई जांच गतिमान थी, इसलिए मोर्चा ने न्यायालय से मांग की थी कि हरीश रावत के साथ-साथ स्टिंगबाजों की भी सीबीआई जांच होनी चाहिए। न्यायालय ने स्टिंगबाजों सहित सीबीआई को नोटिस देकर प्रदेश में लोकतन्त्र को मजबूत करने का काम किया है।