कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड के विश्वविख्यात कॉर्बेट नैशनल पार्क में जंगल की जंग ने 7 बाघ, 4 गुलदार, 16 हाथी समेत कुल 36 जानवरों को मौत की नींद सुला दिया है। ये जंग भूख, क्षेत्रीय वर्चस्व और मेटिंग(सेक्स)के कारण मानी जा रही है।
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नैनीताल जिले के रामनगर से लगे कार्बेट टाइगर रिजर्व में पिछले साढ़े तीन वर्षों में हाथियों, बाघों और तेंदुओं की मौत के कारणों की तह तक जाने के लिए जब अध्ययन किया गया तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए । कभी भूख मिटाने के लिए बाघों ने हाथी को मार डाला तो कभी क्षेत्रीय वर्चस्व और मेटिंग के लिए नर-मादा हाथियों और नर-मादा बाघों में संघर्ष हो गया । बाघों की बड़ी संख्या के लिए वन्यजीव प्रेमियों में लोकप्रिय इस रिजर्व में 36 जानवरों की मौत को लेकर इस जांच रिपोर्ट से बड़ा खुलासा हुआ है । रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले सादे तीन वर्षों में 16 हाथी, 7 बाघ, 4 गुलदार आदि जानवरों की मौत के पीछे भूख, क्षेत्रीय संघर्ष और मेटिंग मुख्य कारण हैं । कॉर्बेट के कार्यकारी निदेशक आई.एफ.एस.संजीव चतुर्वेदी ने इस रिपोर्ट को तैयार करवाया है । संजीव का कहना है कि पहले बाघों के भोजन के लिए हथियों को मारने की घटनाएं सामने नहीं आती थी लेकिन अब जनाकारी मिली है कि बाघ भी अपना पेट भरने के लिए हाथियों को मार रहे हैं । उन्होंने इसका मुख्य कारण इसे माना है कि हिरन, सांभर, चीतल जैसे फुर्तीले जानवरों को मारने में बाघों को लंबी रेस लगानी पड़ती है और ज्यादा ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है लेकिन, हाथियों को मारने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है, और खाने के लिए ज्यादा मांस भी मिल जाता है।
जानवरों की मौत की केस स्टडी की रिपोर्ट…
(1) तीस नवंबर 2017 को कार्बट टाइगर रिजर्व के रामनगर वन प्रभाग में एक बाघिन की दूसरे बाघ से मेटिंग के दौरान लड़ते हुए मौत हुई थी ।
(2) तीन मई 2019 को दो बाघों की लड़ाई में एक नर बाघ की मौत हुई जिसे मेटिंग से जोड़ा जा रहा है ।
(3)27 मई 2019 को भी बाघों के बीच क्षेत्रीय संघर्ष में एक बाघ को जान गंवानी पड़ी थी ।
(4) सात फरवरी 2018 को बाघ के साथ संघर्ष में एक हाथी की मौत हुई ।
(5) नौ जनवरी 2018 को भी बाघ के हमले में एक हाथी मारा गया था ।
(6) दस नवंबर 2018 को बाघ से संघर्ष में एक हाथी की मौत हो गई थी ।
(7) छब्बीस जनवरी 2019 को वन क्षेत्राधिकारी की रिपोर्ट में बाघ के हमले में हाथी के मारे जाने की पुष्टि हुई है ।
(8)ग्यारह जनवरी 2018 को कालागढ़ टाइगर रिज़र्व में एक और चौंकाने वाली घटना देखने को मिली जब जंगली सुअर ने बाघ के बच्चे पर हमला कर मार डाला।
इसी तरह छह तेंदुए की भी पिछले पांच वर्षों में मौत हुई, जिसमें आपसी संघर्ष और दूसरे जानवरों के हमले में उनको अपनी जान गंवानी पड़ी।
संजीव ने अपनी जांच रिपोर्ट में कहा है कि भूख मिटाने के लिए बाघों की ओर से हाथियों के शिकार का नया ट्रेंड शुरू हुआ है। उन्होंने बताया कि कुल 21 में से 60 प्रतिशत हाथियों की मौत बाघों के हमले में हुई है । मरने वालों में ज्यादातर हाथियों के बच्चे हैं जबकि मेटिंग के लिए आपसी संघर्ष में भी हाथियों की मौत हुई है। इसी तरह बाघों में भी मेटिंग के लिए आपसी संघर्ष हुए जिसमें नौ में से सात बाघ मारे गए। ये मौतें क्षेत्रीय वर्चस्व और मैथुन को लेकर छिड़ी लड़ाई की वजह से हुईं।