कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड के बैजनाथ मंदिर में भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था और उनके पुत्र कार्तिकेय ने यहीं जन्म लिया था।
महाशिवरात्रि पर विशेष
बागेश्वर जिले की कत्यूर घाटी में गोमती नदी के किनारे स्थित प्रसिद्ध पैराणिक व ऐतिहासिक बैजनाथ मंदिर स्थापित है। श्रद्धालुओं की अगाध श्रद्धा और अटूट आस्था का प्रतीक है ये मंदिर। शिवरात्रि में यहां भव्य मेला लगता है। कहा जाता है कि देश में मात्र बैजनाथ ही ऐसा मंदिर है जहां पर शिव-पार्वती की पूजा लिंग रुप में नहीं बल्कि मूर्ति के रुप में होती है।
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यहां मां पार्वती की पांच फुट की श्याम रंग की अष्टधातु से बनी आदमकद मूर्ति है। स्कंदपुराण के मानस खंड में बैजनाथ का वर्णन किया गया है जिसमें भगवान शिव पार्वती से कहते हैं कि “हिमालय क्षेत्र में ऋषि मुनियों के आश्रमों के नजदीक, गोविंद चरण से निकली गोमती और गरुड़ गंगा के संगम के पास कुछ दूरी पर एक प्रसिद्ध शिवलिंग है जो बैजनाथ नाम से जाना जाता है।
हे पार्वती ! तेरी और मेरी शादी भी यहीं हुई। इसको देखने के लिए देव मंडली भगवान ब्रह्मा व विष्णु के साथ यहां आई। हमारे पुत्र कार्तिकेय ने भी यहीं जन्म लिया”।
इतिहासकारों ने भी लिखा है कि कत्यूरों से पहले यहां बौद्ध मठ था। यहां बंद कमरे में भगवान बुद्ध की एक खंडित मूर्ति भी रखी गई है। बैजनाथ मंदिर का निर्माण सातवीं-आठवीं शताब्दी में हुआ था। शिवरात्रि के दिन यहां शिव के दर्शन-पूजन को श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। हिमालय की गोद में बने इस पौराणिक मंदिर में लोगों की बहुत आस्था है। इस मंदिर की भारतीय पुरातत्व विभाग(जी.एस.आई.)देखरेख करता है। यहां देशभर से भक्त आस्था के चलते खिंचे चले आते हैं।