देहरादून सचिवालय मे योजना भवन में पूर्व मुख्य सचिव आर एस टोलिया का नाम खारिज कर दिया गया है। अभी सभागार का नाम चंद्र सिंह गढ़वाली सभागार होगा।
काम की धीमी गति के लिए पहले से ही आलोचना का शिकार हो रही सरकार के इस कदम पर अब लोग कहने लगे हैं कि जब काम बदलकर कुछ नहीं हो रहा तो नाम बदल कर क्या होगा !
पहले इस भवन का नाम पूर्व मुख्य सचिव आर एस टोलिया के नाम पर था। पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार आर एस टोलिया को पसंद न करने वाले एक नौकरशाह के कहने पर इस योजना भवन के सभागार का नाम बदला गया है
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कांग्रेस सरकार में कैबिनेट के बाद इस सभागार का नाम आर एस टोलिया सभागार रखने का शासनादेश जारी कराया था।
15 अगस्त को वीर चंद्र गढवाली के नाम पर इस सभागार का उदघाटन किया गया। इसके लिए मुख्यमंत्री को यह बताया गया कि चंद्र सिंह गढ़वाली को कम्युनिस्ट नेता के तौर पर बताया जाता है सभागार का नाम चंद्र सिंह गढ़वाली कर देने से भाजपा को कुछ वोट बैंक का फायदा हो जाएगा। सूत्रों के मुताबिक सीएम की मंजूरी के बाद नाम बदला गया है। नाम बदले जाने से कुमाऊं के अफसर खान से नाराज बताए जा रहे हैं।ये नाम बदलने की मंजूरी बकायदा विधिवत फाइल पर आई।
हालांकि राज्य संपत्ति विभाग से जुड़े सूत्रों ने नाम बदलने के इस मामले से पूरी तरह पल्ला झाड़ते हुए कह दिया कि सचिवालय का चौथा और पांचवां प्लोर अब मुख्यमंत्री कार्यालय के नाम से जाना जाता है इसलिए राज्य संपत्ति विभाग का इस मामले में कोई दखल नहीं है चौथे और पांचवें फ्लोर के लिए मुख्यमंत्री स्वयं ही कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं।
हालांकि कई लोग सरकार की इस कार्रवाई से सहमत नही है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी सरकार के इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार का यह फैसला उचित नहीं है। हरीश रावत ने कहा कि आर एस टोलिया सिर्फ एक मुख्य सचिव नहीं बल्कि मन वचन कर्म से उत्तराखंड के लिए जीने वाले सच्चे सपूत थे। सभी अफसर नाम बदलने की इस तिकड़म को लेकर आश्चर्य जता रहे हैं।
कुछ अफसरों ने मौखिक रूप से यह राय भी दी थी कि वैसे भी इस पांचवें फ्लोर पर कोई भी आम व्यक्ति नहीं पहुंचता है ऐसे में इस भवन का नाम बदलने से कोई सियासी फायदा नहीं होगा। इसके उलट यदि नाम बदल गया तो कुमाऊं मूल के अफसरों सहित जनता में भी इसका गलत संदेश जाएगा, लेकिन किसी ने इस राय पर ध्यान नहीं दिया।