गिरीश गैरोला
उत्तरकाशी कांग्रेस की जन आक्रोश रैली में डुंडा के ब्लॉक प्रमुख कनकपाल परमार ने मंच से उत्तराखंड के सबसे बड़े खनन और रेत घोटाले का डुंडा ब्लॉक के अस्तल गांव में होने का खुलासा किया। उन्होंने आरोप लगाया कि इस स्थान पर पट्टा आवंटित कर करीब 12 करोड़ का घोटाला किया गया है।
ब्लॉक प्रमुख डुंडा कनकपाल परमार ने बताया कि आपदा के बाद वर्ष 2016 में नदियों में भरे मलवे को सुरक्षा के लिहाज से वहां से हटाने के लिए रिवर टैनिंग के नाम से पालिसी बनाई गई थी। जिसमे ई- टेंडरिंग अपनायी गयी, ताकि सरकार को ज्यादा राजस्व मिल सके।
यही वजह रही कि टेंडर में 35 रु प्रति टन रेट के बदले 800 से 1200 रु प्रति टन का रेट मिला और सरकारी खजाने में जमा हुआ।किन्तु कुछ नंबर इस दौरान जानबूझ कर छोड़ दिये गए। जिसके बाद प्रमुख सचिव आनंद वर्धन का एक पत्र जिलाधिकारी कार्यालय को मिला जिसमे साफ कहा गया कि अब कोई पट्टे न किये जाएं किन्तु इसके बाद भी बैक डेट में न सिर्फ पट्टा स्वीकृत किया गया, बल्कि 800 की जगह महज 50 रु प्रति टन की स्वीकृति भी मिल गयी। जाहिर है कि अपने खास को लाभ पंहुचाने के लिए ऐसा कर राजस्व को चपत लगाई गई।
उन्होंने आरोप लगाया कि उक्त मामले में चालान डेट और डिस्पैच नंबर की गड़बड़ी से सब जाहिर होता है। उन्होंने बताया कि महर्षि आश्रम के पास उन्होंने भी टेंडर लिया, जिसके लिए 7920 टन के लिए उन्हें 30 लाख देने पड़े हैं, जो प्रति टन 800 रु की दर से तय हुआ है। इतना ही नही प्रतिस्पर्धा में सिंगोटी गाड़ के पास टेंडर एक स्थान पर 1600 रु प्रति टन की दर से भी स्वीकृत हुआ है। ऐसे में बैक डेट में केवल 50 रु प्रति टन की सस्ती दर से पट्टा दिया जाना ज़ीरो टॉलरेन्स का सबसे बेहतरीन उदाहरण है, जिसके जबाब की उन्हें प्रतीक्षा है।